3 साल में न यूनिवर्सिटी का भवन बना, न टीचिंग स्टाफ है, प्रदेश के बाहर डिग्री को नहीं मान रहे संस्थान-कंपनियां

भोपाल । राज्य सरकार ने 2015 में बुंदेलखंड के छात्रों के लिए छतरपुर में महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विवि को खोल तो दिया किन्तु तीन वर्ष बाद भी न तो विवि का अपना भवन है और न ही टीचिंग स्टाफ। चिंताजनक बात तो यह है कि विवि की भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) से सम्बद्धता नहीं होने के कारण इससे जुड़े सागर संभाग के कालेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्रदेश के बाहर बड़े संस्थाओं में अपनी आगे की पढ़ाई और नौकरी के लिए अपात्र घोषित कर दिया जा रहा है। इससे पीड़ित एक छात्रा ने विवि के कुल सचिव को पत्र लिखा है। इसके अलावा राज्यपाल, मुख्यमंत्री और यूसीजी के चेयरमैन को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा को व्यक्त किया है। यह स्थिति तब सामने आई जब सागर की एक छात्रा ने पंजाब, चंडीगढ़ और दिल्ली विवि में पोस्ट ग्रेजुएशन में एडमिशन के लिए आॅनलाइन आवेदन का प्रयास किया तो पोर्टल पर डली एआईयू की सूची में छतरपुर विवि का नाम शामिल नहीं होने के कारण वह आवेदन ही नहीं कर सकी। यही नहीं, इस छात्रा ने हजारों रूपए खर्च कर बेंगलुरु की क्राईस्ट युनिवर्सिटी तथा हैदराबाद की फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी में रिटर्न टेस्ट देने के पहले ही उन्हें अपात्र घोषित कर दिया है। छात्रा ने अपनी आप बीती 15 मई को प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग और छतरपुर विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा व्यक्त की।

चार साल से विश्वविद्यालय को नहीं मिला बजट

शासन द्वारा पिछले 4 वर्षों में बजट में कोई राशि भी नहीं दी गई है जिस कारण इस विश्वविद्यालय में शिक्षा और शोध की गतिविधियां भी अब तक शुरू नहीं हो सकी है। प्रदेश भाजपा सरकार की इस लापरवाही के कारण छतरपुर में खोला गया विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के केंद्र के बजाय महज परीक्षा आयोजित करने वाला संस्थान बनकर रह गया है।छतरपुर में खोले गए राज्य विश्वविद्यालय में आज दिनांक तक शैक्षणिक पदों की भर्ती नहीं की जा सकी है।

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