45 दिन के अभियान में मारी गई आदमखोर बाघिन

कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे तराई पश्चिमी वन प्रभाग के आमपोखरा रेंज में दहशत की वजह बनी आदमखोर बाघिन का अंत हो गया। हाथियों पर सवार शिकारियों और वन कर्मचारियों ने गुरुवार को गोरखपुर नाले के पास चारों ओर से घेरने के बाद गोलियां बरसाकर बाघिन को ढेर कर दिया।

45 दिन से चल रहा था पकड़ने का अभियान

आमपोखरा रेंज में 45 दिन से बाघिन का आतंक बना हुआ था। गोरखपुर, तल्लाकानिया, बेड़ाझाल समेत आधा दर्जन गांवों में दहशत का पर्याय बनी बाघिन दो लोगों की जान ले चुकी थी, जबकि पांच महिलाओं पर हमला किया था। वन विभाग शिकारियों की मदद से बाघिन को मारने की कोशिश में जुटा हुआ था। इस दौरान तीन बार घेराबंदी के बावजूद बाघिन चकमा देकर भाग निकली थी।

 

बुधवार को तल्ला कानिया में गन्ने के खेत में दिखी बाघिन के पैर में गोली लगी थी।

रात में घायल अवस्था में गोरखपुर गांव की ओर भागी

डीएफओ कहकशा नसीम ने बताया कि जख्मी बाघिन तल्ला गौजानी से होते हुए गोरखपुर गांव की ओर आ गई थी। इसकी जानकारी मिलने के बाद गुरुवार सुबह से ही गोरखपुर गांव में तलाशी अभियान चल रहा था। दोपहर 12 बजे तीन हाथियों पर शिकारी जॉय हुकिल, लखपत सिंह, नवाब सैफी, राजीव सोलेमन और हरीश धामी नाले की ओर बढ़े तो बाघिन झाड़यिों में छिपी दिखाई दी। वनकर्मियों ने चारों ओर से जाल लगा दिया गया। चारों ओर से घेरने के बाद बाघिन पर गोलियां चला दी गईं। आदमखोर की मौके पर ही मौत हो गई।

बाघिन पर 50 से अधिक गोलियां दागीं

नाले में छिपी बाघिन ने भागने की कोशिश की, लेकिन शिकारियों ने उस पर गोलियां बरसा दीं। शिकारी जॉय हुकिल की पहली गोली बाघिन के सिर पर लगी, जबकि लखपत और हरीश की दो गोलियां उसके सीने पर लगीं। इससे बाघिन वहीं बैठ गई। गोली की आवाज सुनते ही वनकर्मी भी मौके पर पहुंचे और गोलियां चलानी शुरू कर दीं। अधिकारियों के अनुसार बाघिन को 50 से अधिक गोलियां लगी हैं। इस दौरान बाघिन को बाहर न आने देने के लिए कई ग्रामीणों ने भी नाले और खेतों के चारों ओर हवाई फायरिंग की।

ग्रामीणों ने बाघिन के शव को कंधों पर उठाया

गोरखपुर गांव में मारी गई बाघिन को देखने बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। ग्रामीणों ने बाघिन के शव को कंधों पर उठा लिया। काफी दूर तक ग्रामीण जुलूस की शक्ल में निकले। इस बीच भीड़ बढ़ने लगी तो अफसरों ने सख्ती दिखाते हुए बाघिन का शव वाहन में रखवा दिया। पहले तराई पश्चिमी वन प्रभाग में शव पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया, लेकिन यहां भी लोगों की भीड़ जुटने पर शव कॉर्बेट नेशनल पार्क में भेज दिया गया।

दोपहर 12 बजे ढेर की गई

पश्चिमी वृत्त के वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि गुरुवार सुबह से ही तलाशी अभियान चल रहा था। हाथियों के गन्ने के खेत से नाले की ओर जाने में आनाकानी करने से यह पुख्ता था कि बाघिन वहीं छिपी है। दोपहर 12 बजे बाघिन को मार दिया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ होगा कि बाघिन आदमखोर क्यों बनी।

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