5वीं तक के 61% स्टूडेंट हिन्दी जानते हैं न गणित

सरकारी रिपोर्ट से खुली सवा लाख स्कूलों की पोल
पुष्पेंद्र सिंह,

भोपाल :प्रदेश के लगभग 1 लाख 12 हजार शासकीय प्राथमिक स्कूलों का शिक्षा स्तर तेजी से नीचे आया है। पिछले साल अगस्त में कराये गये एक सर्वे रिपोर्ट से हकीकत सामने आई है कि कक्षा 1 से 5वीं तक के 61 फीसदी विद्यार्थी हिंदी नहीं पढ़ पाते हैं और 89 प्रतिशत बच्चों को अंग्रेजी नहीं आती। गणित के जोड़-घटाने में भी 70 प्रतिशत बच्चे फिसड्डी हैं। शर्मनाक आंकड़े तो ये हैं कि अपने ही विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले शिक्षकों ने बेस लाइन सर्वे किया और उनके ही हाथों बड़ी संख्या में बच्चे फेल हो गए।
करीब तीन लाख शिक्षकों के खराब परफार्मेंस पर राज्य शिक्षा केंद्र ने जिला कलेक्टरों को चिट्ठी लिखकर गहरी चिंता जताई है। वहीं कलेक्टरों ने यह बला स्कूलों के हेड मास्टर पर डाल दी है। कलेक्टरों ने चेतावनी भरे पत्र लिखते हुए निर्देश दिए हैं कि प्राथमिक शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार लाएं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले प्राथमिक स्तर के बच्चों में पढ़ाई का स्तर जानने के लिए ‘प्रथम’ नामक संस्था से सर्वे कराया जाता था।

राज्य शिक्षा केन्द्र से सर्वे में पाया कि 1 से 5वीं तक के 16% बच्चे क ख ग भी नहीं पहचान पाये। जबकि कहानी लेबल पर 39 % ही बच्चे पास हो सके। हिंदी नहीं पढ़ पाने वाले बच्चों का प्रतिशत 61% तक है। गणित विषय में देखा गया कि 71% बच्चे घटना, 87 फीसदी गुणा, 82 प्रतिशत भाग और 63 फीसदी बच्चे जोड़ लगाना नहीं जानते। जबकि 89 फीसदी विद्यार्थी अंग्रेजी नहीं पढ़ पाते हैं।

शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए पत्र में चिंता
राज्य शिक्षा केन्द्र की तत्कालीन आयुक्त दीप्ती गौड़ मुकर्जी ने सभी जिलों के कलेक्टरों को चिट्ठी लिखते हुए कहा कि आपके जिले में दक्षता अत्यंत चिंतनीय है। केन्द्र ने हर जिले की परफारमेंस लिस्ट भी उपलब्ध कराई है। कलेक्टरों ने इस चिट्ठी को हेड मास्टर तक बढ़ा दी है। कलेक्टरों ने अर्द्धशासकीय पत्र लिखते हुए कहा है कि प्राथमिक शिक्षा का स्तर सुधारें।
शिक्षकों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई: प्राथमिक शिक्षा के गिरते स्तर पर राज्य शिक्षा केन्द्र ने अभीतक किसी भी शिक्षक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की है। शिक्षा के अधिकार के तहत प्रावधान है कि जिस शिक्षक का परफारमेंस ठीक नहीं है उसके खिलाफ कार्रवाई हो।

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