भारत दवा विक्रेता संघ 30 मई को हडताल पर

सीहोर। ऑल इंडियॉ केमिस्ट एसोसियेशन के तत्वाधान में म.प्र.के समस्त 28000 केमिस्ट 30 मई मंगलवार को एक दिवसीय हड़ताल पर रहेगें। एसोसियेशन के अध्यक्ष गौतम चंद धीग व सचिव राजीव सिंघल व सीहोर दवा विके्रता संघ अध्यक्ष ओम राय ने बताया कि केन्द्र सरकार देश के कुछ उद्योगपतियों या फिर विदेशी कंपनीयों का अनुचित लाभ देने हेतु ई पोर्टल का प्रस्ताव ला रही है। जिसमें की दवा का ऑन लाईन व्यापार करने की कानूनी मान्यता प्राप्त हो जायेगी। इस कानून को लाने हेतु एक लोक सूचना जारी की गई इसके लिये हमारे बिंदु निम्र है, जैसे देश गॉव में बुनियादी ढॉचे की कमी के साथ-साथ बिजली की उपलब्धता,इंटरनेट कनेक्शन की कमियॉ, लोक सूचना के बिंदु क्रमांक 3द्ब1 के संदर्भ में एमसीआई स्टेट डेंटल काउसिंल मेडीकल कांउसिल द्वारा रजिस्र्टड चिकित्सक को देश में दवा लिखने का अधिकार है। लेकिन यूनानी ,होम्योपेथिक , सिद्वा चिकित्सक भी एलोपेथिक दवा लिखते है। यह प्रश्र है कि हमें उनके प्रिस्क्रप्शन को स्वीकार करना चाहिये या नही यह एक गंभीर समस्या है ,डाक्टरो के पर्चे को अस्वीकार करने का जीवन रक्षक दवाओं को पूर्णत: अभाव होगा। देश की पीढीत मानवता का स्वास्थ्य खतरे मे होगा। दवा ना देने पर विक्रेता के साथ जो विरोधात्मक स्थिति उत्पन्न होगी उसकी सुरक्षा की कानूनी स्थिति को भी इस लोक सूचना में ध्यान नही दिया गया है। इमरजेन्सी या अत्यावश्यक दवा आवश्यक होता है किंतु लोक सूचना में खरीदी को ई पोर्टल पर अपलोड करने के बाद बिक्री बिल अपलोड का प्रावधान व्यवहारिक नही है ,इसमें विलम्ब से मरीज को होने वाले खतरे से इंकार नही किया जा सकता है। औषधि एंव प्रसाधन कानून की धारा 64(2) पर विचार किये बिना लायसेन्स अधिकारियों द्वारा बडी संख्या लायसेंस किये जाते है इसमें केमिस्टों के व्यापार पर भारी असर होता है। केमिस्ट की बिक्री कम होने पर नये नियमों का पालन करना संभव नही ऐसे नियम बुनियादी ढांचे में निवेश करने के साथ प्रत्येक पर्चे पर ई पोर्टल द्वारा 200 रूपये चार्ज लिया जायेगा जो केमिस्ट पर एक अतिरिक्त वित्तीय बोझ है जो आम केमिस्ट के वश की बात नही है। इस स्थिति में छोटे छोटे दवा विक्रेता को लायसेंस सरेडंर करने के अलावा कोई विकल्प नही है। इन नियमों से जनता के स्वास्थ्य, दवा की उपलब्धता चिकित्सा सेवायें ड्रग डिलेवरी सेवायें अत्यधिक प्रभावित होगी। इसके क्रियान्वयन से पूर्व आम केमिस्ट की आर्थिक स्थितियों पर भी विचार किया जाना चाहिए। लोक सूचना के समस्त बिन्दुओं का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि लोक सूचना के सहारे चुपके- चुपके इंटरनेट फार्मर्सी को अनुमति देने का अघोषित कार्य है इस प्रकार को क्रियान्वयन से देश में नारकोटिक दवायें नशे की प्रवृति बढाने वाली दवाओं की आसान उपलब्धता होगी और इसका असर देश की कुशल एवं पारंगत नौजवान पीढी पर होगा जो कि देश के लिये असहनीय नुकसान होगा। इस कानून के लागू होने पर मरीज को केमिस्ट दवा कैसे देगा सोचनीय है। दवा के न देने पर केमिस्ट कि सुरक्षा कैसे होगी लोक सूचना में कोई उल्लेख नही है। इन नियमो के परिपालन से  मरीजो को सही गुणवता की दवाओं की उपलब्धता अपिश्चित होगी साथ ही एंटी- माइक्रोबियल रेजिस्टेंस प्रतिरोध पर अंकुश लगाने का उद्धेेश्य भी पूर्णत: असफल होगा अपितु एंटी- माइक्रोबियल रेजिस्टेंस बढेगा। लोक सूचना पर क्रियान्वयन से उपरोक्त सभी बिन्दुओं पर गंभीरता विचार विमर्श करने की आवश्यकता है ताकि आम जनता के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकें।

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