BIHAR: कोसी-सीमांचल में बाढ़ से अब तक 40 से अधिक की मौत

कोसी और सीमांचल में बाढ़ का कहर शुक्रवार को भी जारी रहा। विभिन्न जिलों से 13 और लोगों की मौत की सूचना के बाद इस साल आई बाढ़ में अबतक 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

इस बीच राहत शिविरों में समुचित व्यवस्था नहीं रहने से लोग हलकान रहे। नदियों का पानी स्थिर होने के बाद कटाव में तेजी आई है। पिछले 24 घंटों में पूर्णिया में सात, किशनगंज में एक, कटिहार में तीन और अररिया में दो लोगों की डूबने से मौत हो गई।

इस बीच जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिन्हा ने शुक्रवार की देर शाम वीरपुर पहुंचकर 10 किलोमीटर तक पूर्वी कोसी तटबंध का जायजा लिया। हालांकि कहा जा रहा है कि क्षेत्र में उफनाई नदियों के तेवर नरम पड़े हैं।

पूर्वी कोसी तटबंध के 10 किमी स्पर पर नदी का दबाव बरकरार है। स्पर का नोज दो मीटर के आसपास धंस गया है। 26 जुलाई को भी जलस्तर में वृद्धि के बाद नोज धंस गया था जिसको पाटने का प्रयास जारी है। अगर यह स्पर टूटता है तो इसका सबसे ज्यादा असर राघोपुर प्रखंड में होगा। राहत की बात यह है कि यह स्पर 4.15 मीटर लंबा है जो नदी को तटबंध से दूर धकेल रहा है। इस स्थान को रिस्क ए की श्रेणी में रखा गया है और तीन शिफ्ट में बचाव कार्य किये जा रहे हैं।

सहरसा में कोसी तटबंंध के अंदर अवस्थित क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति अब भी यथावत बनी हुई है। नवहट्टा, महिषी व सलखुआ प्रखंड के दर्जनों गांवों में घरों में दो से तीन फीट तक पानी जमा है। संपर्क पथ टूटने से लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। हजारों एकड़ धान की फसल डूब गई है। मवेशी के चारा के लिए पशुपालकों को नाव से दूर-दूर तक जाना पड़ रहा है।

अररिया में नदियों के जलस्तर में कमी आने से लोगों को थोड़ी राहत तो मिली है पर मुसीबत अभी टली नहीं है। अब नदियों के कटाव में तेजी आई है। शुक्रवार को करीब एक दर्जन घर नदी में विलीन हो गये। जलस्तर में कमी से महामारी फैलने की भी आशंका बनी हुई है। यहां दो लोगों की डूबने से मौत हो गयी। राहत नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए फारबिसगंज महिला कालेज कैंपस में रह रहे बाढ़ पीड़ितों ने सड़क जाम कर प्रदर्शन किया। डीएम हिमांशु शर्मा ने कहा कि बाढ़ प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिए प्रशासन कटिबद्ध है। जिले में बाढ़ से हुए क्षति का आकलन कराया जा रहा है। प्रशासनिक रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को जिले के 453 गांव बाढ़ प्रभावित हैं।

किशनगंज जिले में बाढ़ की विनाशलीला के बाद अब नदियों का जलस्तर घटने लगा है। शुक्रवार को 9वें दिन भी लोग बाढ़ की विभिषिका की वजह से राहत शिविरों से अपने घर नहीं लौटे और राहत शिविरों में कैंप किये हुए हैं। गुरुवार की शाम कोचाधामन के खानकाह टोला में डूबने से हांडीभाषा निवासी मो. इस्माइल के 8 वर्षीय पुत्र मसरूर आलम की मौत हो गई। टेढ़ागाछ में सांसद असरारुल हक कासमी ने बाढ़ का जायजा लेने के बाद बीडीओ, सीओ के साथ बैठक कर बाढ़ से हुई क्षति का आकलन कर डीएम को रिपोर्ट करने की बात कही।

पूर्णिया जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों में नदियों के तेवर नरम पड़े हैं पर तबाही की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है। यहां बाढ़ के पानी में सात लोगों की डूबने से मौत हो गयी। महानंदा, कनकई और परमान का जलस्तर आज स्थिर रहा। इस बीच, बिहार सरकार के प्रधान सचिव अमृत प्रत्यय,डीएम पंकज कुमार और एसपी निशांत कुमार तिवारी समेत कई अधिकारियों ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का मोटरबोट से दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। बायसी अनुमंडल के गांवों में अब भी बड़ी आबादी बाढ़ की त्रासदी झेल रही है। राहत शिविरों में बड़ी संख्या में बाढ़ पीड़ित पहुंच गये हैं। उधर, जलालगढ़ और कसबा में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है जबकि बनमनखी के सरसी के समीप कुशहा नदी लगातार मुख्य सड़क पर दबाव बढ़ा रही है।

कटिहार के दस प्रखंडों में आई बाढ़ से अब तक 324 गांवों की एक लाख तीन हजार 564 आबादी विस्थापन का दंश झेल रही है। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा राज्य सरकार को भेजे गए प्रतिवेदन के अनुसार, अब तक 49 पंचायतें बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित हैं। 33 पंचायतों में बाढ़ का आंशिक असर है। शुक्रवार को बाढ़ के पानी में डूबने से तीन लोगों की मौत हो गई। कदवा प्रखंड के भर्री गांव में नूरानी बेगम और जाजा मल्लिकपुर की तबस्सुम (दोनों की उम्र नौ साल) की मौत बाढ़ का पानी में डूबने से हो गई। मनिहारी की केवाला पंचायत के बड़ी तेलडंगा गांव की दो साल की ललिता सोरेन की बाढ़ के पानी में डूबने से मौत हो गई।

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