प्रदेश में अब तक 28 लोगों को सांपों ने काट लिया है। इसीलिए सरकारी अस्पतालों में इन दिनों सबसे अधिक सर्पदंश से बचाव की दवा की डिमांड की गई है। लेकिन अस्पतालों को कुत्ते काटने के बाद दी जाने वाली दवा एआरवी भेज दी गई है।
बिहार मेडिकल सर्विसेज इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड के फतुहा, मुजफ्फरपुर और पूर्णिया वेयर हाउस से यह दवा बाढ़ प्रभावित 12 जिलों में भेजी गई है। दवा की मात्रा दस लाख लोगों के लिए है। सांप काटने पर दी जाने वाली दवा एएसवीएस लगभग 30 हजार वायल, सात लाख स्लाइन की बोतलें तथा 20 लाख पारासिटामॉल टैबलेट्स भेजा गया है।
बीएमएसआईसीएल के अधिकारियों का कहना है कि ये दवाएं 70 दिन पहले खरीदी गई थी।
वेयर हाउस में रखा हुआ था। इसीलिए अस्पतालों को भेज दी गई। अधिकारियों का कहना है कि सांप काटने की दवा की डिमांड अधिक है। स्टॉक में जो था उसे भेज दिया गया है। जरूरत पड़ने पर सिविल सर्जनों को अपने स्तर से खरीद के लिए कहा गया है। हालांकि अभी तक कुत्तों के काटने की घटनाएं स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट नहीं हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है के बाढ़ प्रभावित जिलों में पर्याप्त दवाएं उपलब्ध करा दी गई हैं।
कुत्ते की दवा की अभी अधिक जरूरत नहीं है, लेकिन बीएमएसआईसीएल ने भेज दिया है तो उसे अस्पतालों में रखवा दिया गया है। सांप काटने के बाद दी जाने वाली एएसवीएस दवा प्रत्येक पीएचसी में औसतन दस वायल रखा हुआ है। जरूरत पड़ने पर खरीद होगी।
डॉ. जीएस सिंह, सिविल सर्जन, पटना।
बाढ़ के कारण एक तो लोगों की जानमाल की क्षति हुई है, वहीं चिंता, धूप और तनाव भी बीमार कर दिया है। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के 10 मेडिकल कैंप में सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक कुल 1687 मरीजों का उपचार किया गया। इसमें 992 सिर दर्द से पीड़ित थे। डॉक्टरों ने परीक्षण में पाया कि उन्हें चिंता, धूप और तनाव के कारण सिर दर्द हुआ है। उन्हें दवाएं दे दी गई हैं। शेष 695 मरीज डायरिया, पेट और शरीर में दर्द से पीड़ित थे। शिविर में तीन गर्भवती महिलाओं का भी उपचार हुआ। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बिहटा में 140, मनेर में 312, फतुहा में 90, अथमलगोला में 412, बख्तियारपुर में 302, खुसरूपुर में 150, बाढ़ में 48, मोकामा में 40, पंडारक में 90 तथा सदर में 103 मरीजों का उपचार किया गया।
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