BJP की हुईं रीता, कहा – कांग्रेस में राहुल का नेतृत्व किसी को मंजूर नहीं

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। पार्टी की कद्दावर महिला नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी गुरुवार को बीजेपी में शामिल हो गईं। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई गई। इस मौके पर रीता ने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर जहां पीएम मोदी की खूब तारीफ की, वहीं ‘खून की दलाली’ वाले बयान को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को जमकर कोसा।

बीजेपी में शामिल होने के बाद रीता ने कहा, ‘मैंने आज ही कांग्रेस और विधायक पद से इस्तीफा दिया है। राष्ट्रहित और प्रदेश हित में यह फैसला किया।

 

28 साल की राजनीति में से 24 साल मैं कांग्रेस में रही। पिछले दिनों की कुछ घटनाओं से मैं आहत थी। आतंकवाद से भारत संघर्ष कर रहा है, ऐसे में मोदी सरकार ने बहुत सराहनीय काम किया। पूरे राष्ट्र की तरह मैं भी बहुत खुश हुई। कुछ दलों के पीछे चलकर कांग्रेस पार्टी ने इस पर सवाल किए। प्रमाण मांगा गया, खून की दलाली की बात कही गई। इससे मैं बहुत दुखी हुई। हमने इससे दूसरों को मौका दिया कहने का कि भारत की राष्ट्रीय पार्टी ही साथ नहीं है। मैंने ट्विटर पर दुख भी जाहिर किया था। राष्ट्रीय हित में मतभेद रखना ठीक नहीं।’

बहुगुणा ने आगे कहा, ‘प्रदेश के स्तर पर सपा और बसपा ने लूट मचाई है। हर तरफ गरीबी है, स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल हैं। शराब माफिया और खनन माफिया सक्रिय हैं, कानून व्यवस्था बहुत खराब है। जातिवाद का जहर उत्तर प्रदेश में घोल दिया गया है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जातिवाद को तोड़ा, लेकिन कांग्रेस पार्टी सक्रिय नहीं हुई। कांग्रेस इतनी निष्क्रिय हो गई कि पीके (प्रशांत किशोर) का सहारा लेना पड़ा। पूरा नेतृत्व पीके के हाथ में दे दिया गया। पीके ही बताते हैं, कौन नेता कहां जाएगा और क्या बोलेगा। सोनिया गांधी जी संगठन की बात समझती थीं, बातें सुनती थीं, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में यह भी नहीं हो रहा है।’

रीता ने कहा, ‘मैं अमित शाह को धन्यवाद देती हूं। मैं पहली बार कुछ दिन पहले ही इनसे मिली तो मैंने पाया कि ये सच में देश की तरक्की करना चाहते हैं। ये बहुत खुले दिल के हैं। पार्टी मुझे जो भी काम सौंपेगी, मैं उसे पूरा करुंगी।’

रीता के भाई विजय बहुगुणा कांग्रेस से बगावत कर पहले ही बीजेपी में का दामन थाम चुके हैं। जोशी लखनऊ के कैंट विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। चुनाव से ठीक पहले रीता के पाला बदलने की दो बड़ी वजहें बताई जा रही हैं। पहला, उनको भरोसा नहीं था कि विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस इस स्थिति में पहुंच जाएगी, जिसके सहारे चुनाव जीता जा सके। दूसरा यह कि वह जिस बड़े सियासी परिवार से ताल्लुक रखती हैं, उसको लेकर कांग्रेस आलाकमान के मन में विश्वास का संकट पैदा हो गया था। कांग्रेस ने यूपी में सीएम कैंडिडेट के तौर पर शीला दीक्षित को आगे किया है, जबकि इससे पहले वह उत्तर प्रदेश की राजनीति में कभी शामिल नहीं रहीं। यूपी में प्रचार का जिम्मा राहुल गांधी ने संभाल रखा है। इसके अलावा राजबब्बर को उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान दे दी गई है। ऐसे में रीता बहुगुणा जोशी को विधानसभा चुनावों से पहले किनारे कर दिया गया था।

सूत्रों के अनुसार, बीजेपी ने दूसरे दलों के उन बड़े नेताओं की एक लिस्ट तैयार की है, जो किन्ही वजहों से अपनी पार्टी से असंतुष्ट चल रहे हैं। उनसे बातचीत का सिलसिला शुरू किया गया है। पार्टी की योजना है कि यूपी चुनाव तक अलग-अलग पार्टियों के कई बड़े नेताओं को बीजेपी में शामिल कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया जा सके। साथ ही विरोधी पार्टियों का मनोबल गिराया जा सके। इससे पहले बीएसपी से भी कई बड़े नेता बीजेपी में आ चुके हैं।

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