सीबीएसई ने नौवीं और 11वीं कक्षा में किताब खोलकर परीक्षा देने की व्यवस्था को वापस ले लिया है। यह नियम दो वर्ष पहले लागू किया गया था। बोर्ड ने कहा कि इस साल से छात्र परीक्षा केंद्र में किताबें लेकर नहीं जा सकेंगे। बोर्ड का मानना है कि इससे छात्रों की क्षमताओं के विकास में बाधा आती है।
बोर्ड के एक अधिकारी के अनुसार ‘खुली किताब आधारित मूल्यांकन’ (ओटीबीए) व्यवस्था को लेकर स्कूलों से नकारात्मक फीडबैक मिल रही थी। बोर्ड ने शैक्षणिक सत्र 2017-18 से नौंवी और 11वीं की अध्ययन योजना से ओटीबीए को हटाने का फैसला किया है। स्कूलों से मिल रही फीडबैक के अनुसार इस व्यवस्था से छात्रों की अहम क्षमताओं के विकास में बाधा आ रही है।
मार्च 2014 में सीबीएसई ने ओटीबीए को कक्षा नौवीं की वार्षिक परीक्षा में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों के लिए लागू किया था, जबकि 11वीं की वार्षिक परीक्षा में कुछ विषयों जैसे अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान और भूगोल के लिए भी ये व्यवस्था लागू की गई थी।
ओटीबीए में छात्रों को पाठ्य सामग्री चार महीने पहले ही उपलब्ध करा दी जाती थी और उन्हें केस स्टडी को परीक्षाहॉल में साथ ले जाने की इजाजत रहती थी। छात्रों को परीक्षा में सवालों का उत्तर लिखते समय अपने नोट्स या किताबों की मदद लेने की अनुमति रहती थी। इस व्यवस्था का फोकस इस बात पर था कि छात्र रट्टा लगाने की बजाय पाठ्य सामग्री का तार्किक ढंग से प्रयोग कर सकें।
10वीं के लिए तीन भाषाएं 2019-20 से पहले अनिवार्य नहीं
दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में तीन भाषाओं को अनिवार्य किए जाने का सीबीएसई का प्रस्ताव 2019-20 से पहले लागू होने की संभावना नहीं है। सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बोर्ड ने दिसंबर 2016 में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को माध्यमिक शिक्षा के बारे में एक प्रस्ताव भेजा था। इसमें प्रस्ताव है कि दसवीं की बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को अंग्रेजी को मुख्य विषय रखते हुए कुल तीन भाषाओं की पढ़ाई करनी होगी।
फिलहाल यह व्यवस्था सीबीएसई स्कूलों में कक्षा आठ तक ही लागू है और दसवीं के छात्रों को अंग्रेजी सहित दो भाषाएं पढ़नी होती हैं। अधिकारी ने बताया कि सरकार वर्तमान स्कीम के तहत पढ़ाई कर रहे छात्रों को परेशान नहीं करना चाहती, इसलिए इसे 2019-20 तक लागू नहीं किया जाएगा।
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