FILM REVIEW: ए फ्लाइंग जट

आज दुनियाभर के तमाम सुपरहीरोज या तो आपस में ही लड़ रहे हैं या फिर उन पर अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि मानवजाति को अब उनकी मदद की दरकार नहीं है। सुपरमैन, बैटमैन और स्पाइडर-मैन को अपने ही लोगों द्वारा बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कृष और रा. वन जैसे अपने देसी सुपरहीरोज के बाद इस नए सुपरहीरो, फ्लाइंग जट से आप क्या उम्मीद लगाएंगे?

जाहिर ये दर्शक यही देखना चाहते होंगे कि फ्लाइंग जट विदेशी और अपने देसी सुपरहीरोज से किन मायनों में अलग है। वैसे देखा जाए ये मुंडा अलग तो है। सुपरमैन की तरह ये भी उड़ता है, लेकिन बस कुछेक फीट तक ही, क्योंकि इसे ऊंचाई से डर लगता है। इसके पास भी एक ड्रेस है, जिसे इसकी मां और भाई ने तैयार किया है।

 

इसके पास एक कड़ा है, जिसमें न्यूट्रॉन जैसी ताकत है। और हां, इसकी एक प्रेमिका भी है, जिसे वह बांहों में लेकर आसमान में

रोमांस भी करता है। विदेशी सुपरहीरोज से मेल खाती ये तमाम बातें इसे बस थोड़ा-सा ही अलग बना पाती हैं। यही वजह है कि निर्देशक रेमो डिसूजा की यह फिल्म सुपरहीरोज फिल्मों सरीखे तमाम अच्छे मनोरंजक तत्वों के होने के बावजूद बहुत ज्यादा रिझा नहीं पाती।

ये कहानी है अमन (टाइगर श्राफ) की, जो एक स्कूल में मार्शल आर्ट सिखाता है। वह जिस कॉलोनी में रहता है वहां से एक नदी बहती है, जिसके एक छोर पर एक 200 साल पुराना बरगद का पेड़ और दूसरे छोर पर है एक नामी बिजनेसमैन मल्होत्रा (के के मेनन) की फैक्ट्री। इस पेड़ की अपनी मान्यता है, जिसके चलते लोग यहां माथा टेकते हैं। मल्होत्रा इस नदी पर एक पुल बनाना चाहता है, जिसके रास्ते में ये पेड़ और वो कॉलोनी आड़े आ रही हैं, जहां अमन अपनी बेबे (अमृता सिंह) और भाई रोहित (गौरव पांडे) के साथ रहता है।

टकराव की शुरूआत बस यहीं से होती है। हालांकि अमन चाहता है कि बेबे, मल्होत्रा की बात मान जाए और कॉलोनी छोड़ दे, लेकिन वह उसे उसके पिता का हवाला देकर अपने फैसले पर डटी रहती है। मामले से सख्ती से निपटने के लिए मल्होत्रा, राका (नाथन जोन्स) को बुलाता है, जो इंसान के भेष में एक आदमकद राक्षस है। सौ आदमियों की शक्ति वाला राका, अमन को उसी पेड़ के पास पटक-पटक कर मरता है, लेकिन तभी अमन के शरीर में कुछ दैविय शक्तियों का प्रवेश होता है और वो राका को पछाड़ देता है।

अमन की इन शक्तियों के बारे में जब बेबे और रोहित को पता चलता है तो वो उसे सुपरहीरो की तरह नेक कार्य करने को कहते हैं। वो उसे फ्लाइंग जट नाम भी देते हैं और एक

पहनने के लिए एक पोशाक भी। हालांकि अमन इस जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं होता, लेकिन एक दिन जब उसकी नजर कीर्ती (जैकलिन फर्नांडिज) पर पड़ती है तो वो लोगों की भलाई भी करने लगता है। कीर्ती उसी स्कूल में टीचर है, जहां अमन मार्शल आर्ट सिखाता है।

सब ठीक-ठाक चल ही रहा होता है कि एक दिन राका वापस आ जाता है। वह पहले से भी ज्यादा खतरनाक, ताकतवर और खूंखार हो गया है। अब उसे शहर के प्रदूषण से शक्ति मिल रही है, जो दिन प्रतिदिन बढ़ ही रहा है। जहरीले धुंए को पीकर वह रोज के हिसाब से अपनी ताकत में इजाफा कर रहा है और ये धुंआ और प्रदूषण मल्होत्रा की फैक्ट्री की ही देन है। याद नहीं पड़ता कि किसी सुपरहीरो ने इससे पहले प्रदूषण के खिलाफ जंग लड़ी हो। हालांकि अमन यानी फ्लाइंग जट की असली जंग तो मल्होत्रा और राका के खिलाफ है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की जड़ में छिपा है पर्यावरण और प्रदूषण।

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फिल्म की शुरूआत एक दर्शाती है कि किस तरह से इंसान ने पर्यावरण के प्रति असंवेदनशीलता अपना कर खुद अपने लिए ही मुसीबत मोल ली है। पाष्र्व में छोटी बच्ची की आवाज में एक कविता और साधारण से कार्टून की मदद से रेमो ने फिल्म की शुरूआत में ही दर्शा दिया है कि वह एक जरूरी बात दर्शकों से करने जा रहे हैं। अमूमन सुपरहीरोज फिल्मों की शुरूआत ऐसे नहीं होती। लेकिन अगर होने लगे तो इसमें हर्ज ही क्या है।

इंटरवल से पहले की फिल्म हल्के-फुल्के अंदाज में सिर्फ कहानी को आकार देती है। यहां तक साफ हो जाता है कि अब जंग फ्लाइंग जट और राका के बीच है। लेकिन इंटरवल के बाद कहानी को बहुत ज्यादा खींचा गया है। तीन-तीन गीत और पटकथा में रोचक तत्वों का अभाव उकताहट पैदा करता है।

इस कहानी में मनोरंजन के लिहाज से बहुत कुछ है। अमन जैसा किरदार है जो शक्तियां मिलने के बावजूद उन पर रीझता नहीं है और न ही वह हर दम लोगों की मदद के लिए तत्पर रहता है। अपने पहले मदद अभियान के दौरान आसमान से जमीन पर उसकी लैंडिंग वाला सीन बढ़िया है। अपने भाई रोहित के साथ उसके ज्यादातर सीन अच्छे ही हैं। हालांकि बेबे के किरदार में बनावटीपन और ड्रामा ज्यादा है, फिर भी फिल्म में मजा आता रहता है।

यहां कुछ खटकता है, तो वो है मल्होत्रा का किरदार। केके मेनन अच्छे अभिनेता है, लेकिन वह इस रोल में बिल्कुल फिट नहीं लगे। उनके किरदार में न तो ललचपन दिखता है और न आतंक। वह केवल रटे-रटाए संवाद बोलते दिखते हैं। उनकी उपस्थिति में धमक नहीं है, जबकि राका के किरदार में नाथन जोन्स ने लगातार प्रभावित किया है, सिवाय इसके कि उनके ज्यादातर संवाद अंग्रेजी में हैं और उनकी भारी-भरकरम आवाज की वजह से वह समझ नहीं आते। कई जगह नाथन, टाइगर पर भारी पड़ते भी दिखते हैं। खासतौर से एक्शन के दृश्यों में।

ये फिल्म पर्यावरण और प्रदूषण की तरफ बस इशारा भर करती है, उसकी अहमियत और जागरुकता पर भी बात करती है, बावजूद इसके यह पूरी तरह से असर नहीं जगा पाती। यहां कहा जा सकता है कि रेमो कई सारी अच्छी बातों के बावजूद विषय और फिल्म को पूरी तरह से संभाल नहीं पाए। पता नहीं ये बातें बच्चों पर कितना असर जगाएंगी, जिन्हें खासतौर से ध्यान में रख कर इस फिल्म का निर्माण किया गया है।

एक आईडिया के रूप में ये बात अपील करती है कि फ्लाइंग जट, राका को जमीन पर नहीं मार सकता, इसलिए वह उसे अंतरिक्ष में ले जाता है। लेकिन जिस तरह से वह उसे लेकर एक स्पेस स्टेशन से टकराता है और अपने कड़े के वार से उसके टुकड़े-टुकड़े कर देता है वह सब अविवश्नीय लगता है। हालांकि सुपरहीरोज फिल्मों में अविवश्नीय कुछ नहीं होता, फिर अगर इस फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स पर और ज्यादा काम किया गया होता तो शायद ये फिल्म और अच्छी बन सकती थी।

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टाइगर श्राफ, जैकलिन फर्नांडिज, के के मेनन, नाथन जोन्स, अमृता सिंह, गौरव पांडे

-लेखक: रेमो डिसूजा

एकता कपूर, शोभा कपूर

: सचिन-जिगर

रफ्तार, मयूर पुरी, प्रिया सराइया, वायु

रेमो डिसूजा, तुषार हीरानंदानी, आकाश कौशिक, मधुर शर्मा

: आकाश कौशिक, मधुर शर्मा

: 2.5 स्टार

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