देश के अन्य शहरों की भांति दिल्ली में जीएसटी के विरोध में चले आंदोलन में व्यापार पूरी तरह चौपट हो गया। चार दिनों तक व्यापारियों के आंदोलन के चलते करीब तीन हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। दरअसल आंदोलन के चलते दिल्ली के करीब-करीब सभी बाजार बंद रहे है और व्यापारियों ने कपड़ा, रेडीमेड गारमेंट्स, फर्नीचर आदि व्यापार पूरी तरह ठप रखा।
दिल्ली को कपड़े, फर्नीचर आदि कारोबार के मामले में देश का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। यहां से तमाम राज्यों में कपड़ा और अन्य सामान जाता है। विशेषकर सदर बाजार, चांदनी चौक समेत पुरानी दिल्ली के सभी बाजारों और पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर में करीब-करीब सभी राज्यों के व्यापारी खरीदारी करने आते है। इन बाजारों में रोजाना करीब एक हजार करोड़ रुपये का व्यापार होता है।
दिल्ली हिंदुस्तान मर्कन्टाइल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुरेश बिंदल के अनुसार खासकर पुरानी दिल्ली में रोजाना पांच सौ करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इस तरह चार दिन बाजार बंद रहने के कारण करीब दो हजार करोड़ रुपये का कारोबार नहीं हुआ। इसके अलावा चार दिनों के दौरान फर्नीचर कारोबार में लगभग पांच सौ करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।
वह बताते है कि अन्य कारोबार में चार दिनों के दौरान भी पांच सौ करोड़ रुपये नुकसान हुआ है। वह बातते है कि पिछले चारों के दौरान व्यापारियों को नहनीं, बल्कि सरकार को भी करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
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