दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने सफाई के मामले में अपनी रैंकिंग में सुधार के लिए सार्वजनिक स्थानों पर शौच करने और कूड़ा फेंकने वालों पर शिकंजा कसने की कवायद शुरू कर दी है। इस संबंध में उसने 17 साल पहले सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश का सहारा लिया है। वह सार्वजनिक स्थानों पर शौच करने और कूड़ा फेंकने वालों पर 50 रुपये जुर्माना करेगी।
दक्षिण दिल्ली नगर निगम के आयुक्त ने अपने आदेश को अमलीजामा पहनाने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को फरमान दे दिया है। आयुक्त ने 18 जुलाई को सार्वजनिक स्थानों पर शौच करने और कूड़ा फेंकने वालों पर 50 रुपये जुर्माना करने का आदेश जारी किया था।
यह आदेश उसी दिन से लागू हो गया है। उधर, दक्षिण दिल्ली नगर निगम सार्वजनिक स्थानों पर शौच करने और कूड़ा फेंकने वालों से जुर्माना वसूलने के आयुक्त के आदेश को दबाए बैठी हुई थी।
उसने किसी को कोई सूचना नहीं दी है, महापौर समेत सत्तापक्ष के किसी भी नेता को जुर्माना वसूलने के आदेश की प्रति देना मुनासिब नहीं समझा गया। इस निर्णय का कांग्रेस पार्षद दल के नेता अभिषेक ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में आयुक्त के आदेश की प्रति प्रस्तुत करते हुए खुलासा किया।
कांग्रेस नेे फैसले पर विरोध जताया
आयुक्त ने आदेश में वर्ष 2000 में सुप्रीम कोर्ट के आए एक निर्णय का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने आदेश में सभी स्थानीय निकायों को सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकने और शौच करने वालों पर मौके पर ही 50 रुपये जुर्माना करने का फरमान दिया था।
खास बात यह है कि अभी तक किसी भी स्थानीय निकाय ने कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए कदम नहीं उठाया था।
जुर्माना करने के निर्णय का कांग्रेस पार्षद दल के नेता अभिषेक दत्त ने कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने वास्तविक स्थिति का आकलन किए बिना जुर्माना वसूलने का आदेश जारी कर दिया।
नगर निगम ने आबादी एवं जरूरत के मुताबिक एक भी कॉलोनी में शौचालय एवं ढलाव नहीं बनाए हैं। इस कारण उसका आदेश पूरी तरह जनविरोधी है और गंदगी फैलाने के मामले में आम लोगों के बजाय नगर निगम पर जुर्माना होना चाहिए।
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