नई दिल्ली। हृदय रोग में लगने वाले स्टेंट को सस्ता करने के बाद केंद्र सरकार ने बुधवार को गठिया रोग से पीड़ित मरीजों के घुटने बदलवाने वालों के लिए भी बड़ी राहत की घोषणा की है। यानी पैसों के लिए अब किसी के आगे घुटने नहीं टेकने पड़ेंगे। सरकार का यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
इसकी कीमत डेढ़ लाख रुपये से घटाकर 55 हजार रुपये पर सीमित कर दी गई है। सरकार के इस आदेश पर अमल न करने वाले अस्पतालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। केंद्रीय केमिकल व फर्टिलाइजर मंत्री अनंत कुमार ने यह घोषणा एक संवाददाता सम्मेलन में की।
कुमार ने कहा कि हृदय रोग से पीड़ित मरीजों के लिए जहां पहले बहुत महंगे स्टेंट मिलते थे, उसके मूल्य में कटौती कर उसे आम लोगों की पहुंच में ला दिया। इसी तरह घुटने से पीड़ित लोगों को राहत देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथारिटी (एनपीपीए) ने इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया।
जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी है। घुटने बदलवाने को सस्ता करने से सालाना 1500 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। देश में सालाना डेढ़ से दो लाख लोगों को घुटने बदलवाने पड़ते हैं।
प्राइवेट अस्पतालों में घुटने बदलवाना बहुत महंगा है। केमिकल मंत्री कुमार ने कहा कि इसमें लगने वाले चिकित्सीय उपकरणों में भारी मुनाफाखोरी होती है। आम लोगों की सुविधा के लिए सरकार ने यह फैसला किया है।
प्रधानमंत्री के निर्देश पर ही दवाओं के मूल्य पर नियंत्रण किया गया और फिर स्टेंट के मूल्य की मुनाफाखोरी पर रोक लगाई गई। और अब घुटने बदलवाने (नी इंप्लांट्स) को सस्ता किया गया है। केंद्रीय मंत्री कुमार ने बताया कि घुटने बदलने में अपर व लोअर लिंब के साथ पटेला जैसे उपकरण लगाये जाते हैं।
यह पांच तरह के होते हैं, जिनके मूल्य भी अलग-अलग वसूले जा रहे हैं। सर्वाधिक मरीज (80 फीसद) स्टैंडर्ड कोबाल्ट क्रोमियम लगवाते हैं। अस्पताल इसका मूल्य 1.58 लाख से ढाई लाख रुपये तक वसूलते हैं। सरकार ने इसका अधिकतम मूल्य 54,750 रुपये कर दिया है।
इसी तरह दूसरे स्पेशल मेटल लाइक टाइटेनियम है, जिसका मूल्य ढाई लाख से साढ़े चार लाख रुपये तक है। अब इसे घटाकर 76,600 रुपये कर दिया गया है। तीसरा उपकरण हाई फ्लेक्सीबिलीटी इंप्लांट है, जिसका मूल्य 1.81 लाख रुपये है। अब इसकी कीमत 56,490 रुपये कर दी गई है।
चौथी श्रेणी में बदले हुए घुटने को 10 साल बाद बदलने की जरूरत पड़ती है, जिसके लिए 2.75 लाख से 6.5 लाख रुपये मूल्य वसूला जाता है। सरकार ने उसका मूल्य 1.13 लाख कर दिया है। जबकि पांचवी श्रेणी में कैंसर व ट्यूमर वाले मरीजों के घुटने बदले जाते हैं, जिसके लिए चार से नौ लाख रुपये तक लिये जाते हैं।
उसे घटाकर 1.14 लाख रुपये पर फिक्स कर दिया गया है। इससे अधिक वसूली करने वाले अस्पतालों के लाइसेंस तक रद्द करने की सख्त कार्रवाई भी की जा सकती है।
एक सवाल के जवाब में कुमार ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 तक देश में गठिया रोग के प्रकोप से घुटने खराब होने वालों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ेगी।
एक बड़ा तबका घुटने के दर्द से तड़प रहा होगा, जिसे मुश्किलों से छुटकारा दिलाने के लिए सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता जाहिर ही नहीं की, बल्कि पूरा भी किया।
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