नई दिल्ली ! राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने बुधवार को अंडरवर्ल्ड डॉन राजेंद्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन व अन्य के खिलाफ फर्जी पासपोर्ट मामले में आरोप तय किया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश विनोद कुमार ने कहा कि सुनवाई रोजाना आधार पर होगी और 11 जुलाई से अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज किए जाएंगे। अदालत ने छोटा राजन के और तत्कालीन पासपोर्ट अधिकारी जयश्री दत्तात्रेय राहते, दीपक नटवरलाल शाह तथा ललिता लक्ष्मणन के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी, दस्तावेजों की धोखाधड़ी करने का आरोप तय किया। सभी आरोपियों ने खुद पर लगे आरोपों का खंडन किया और मुकदमा लड़ने का दावा किया।
सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि छोटा राजन ने बेंगलुरू से राहते, शाह व लक्ष्मणन की सहायता से मोहन कुमार के नाम पर साल 1998-99 के दौरान एक फर्जी पासपोर्ट पाने में सफल रहा था। तीनों जमानत पर बाहर हैं, जबकि राजन फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। राजन कथित तौर पर 85 मामलों में शामिल है, जिसमें हत्या से लेकर जबरन उगाही व नशीले पदार्थो की तस्करी आदि मामले हैं। उसके खिलाफ महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात में मामले लंबित हैं। इन मामलों में कई की जांच सीबीआई कर रही है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने फरवरी महीने में इस मामले में छोटा राजन तथा तीन पासपोर्ट अधिकारियों -जयश्री राहते, दीपक नटवरलाल शाह तथा ललिता लक्ष्मणन- के खिलाफ पटियाला हाउस अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। छोटा राजन को इंडोनेशिया के बाली में 25 अक्टूबर, 2015 को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद उसे छह नवंबर, 2015 में भारत प्रत्यर्पित किया गया। फिलहाल वह नई दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है।
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