फीस नहीं चुकाने पर पिता को टीचरों ने पीटा तो बच्ची ने लगा ली फांसी

एक तरफ देश में राइट टू एजुकेशन जैसी योजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है वहीं गाजियाबाद में एक छात्रा ने इस बात के लिए फांसी लगा ली क्योंकि उसके माता-पिता स्कूल की फीस नहीं चुका पा रहे थे। फीस के तगादे को लेकर घर पहुंची स्कूल शिक्षिकाओं के ताने और पिता की पिटाई से नाराज़ नौंवी कक्षा की स्टूडेंट प्रियांशी ने बुधवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

गाजियाबाद के सेवानगर में सामने आए इस मामले में स्कूल की प्रधानाचार्य समेत छह पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। एसपी सलमान ताज के अनुसार, तीन शिक्षिकाओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है। घटना के बाद महिलाओं ने थाने पर प्रदर्शन किया। सिहानी गेट पुलिस मामले की जांच कर रही है। मूल रूप से इटावा निवासी रतन सिंह सिक्योरिटी गार्ड हैं। उनकी 15 वर्षीय बेटी प्रियांशी डीएस पब्लिक स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ती थी। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उसके पिता तीन महीने से स्कूल की फीस जमा नहीं कर पाए थे। इसके बाद छात्र को स्कूल से निकाल दिया गया था। प्रियांशी उसके बाद दूसरे स्कूल में पढ़ाई करने लगी। दोपहर को बकाया फीस मांगने के लिए स्कूल की एक दर्जन से अधिक महिला शिक्षिका प्रियांशी के घर पहुंची और उसके पिता के साथ मारपीट कर दी। इसके बाद 100 नंबर पर कॉल कर छेड़खानी का आरोप लगा दिया। पुलिस पिता को चौकी ले गई और छात्र ने दरवाजा बंद करके आत्महत्या कर ली।

प्रियांशी के पिता रतन सिंह सिक्योरिटी गार्ड हैं। वे किराए पर रहते हैं और पत्नी , दो बेटी व एक बेटे का खर्च वहन करते हैं। प्रियांशी की दोस्त राधा का कहना है कि वह पढ़ने में मेधावी थी और दसवीं के बाद की भी पढ़ाई करने की तैयारी कर रही थी। इस दौरान यह घटना हो गई। राधा ने बताया कि वह हंसमुख और व्यवहार कुशल थी। स्कूल में वह सभी की प्यारी थी।

बच सकती थी प्रियांशी की जान

नौवीं की छात्र प्रियांशी की मौत मामले में पुलिस की लापरवाही सामने आई है। अगर पुलिस इस मामले में थोड़ी सावधानी बरतती तो प्रियांशी की जान बच जाती। जब शिक्षिकाएं प्रियांशी के घर पहुंची तो उस वक्त प्रियांशी के पिता रतन सिंह, उसकी दोनों छोटी बहनें अनुष्का, कृष्णा और कई पड़ोसी थे। शिक्षिकाओं ने घर में घुसकर रतन सिंह से फीस मांगी तो रतन ने तुरंत फीस देने में असमर्थता जताई। इस पर शिक्षिकाओं ने उससे मारपीट शुरू कर दी। प्रियांशी पिता को बचाने लगी लेकिन शिक्षिकाएं मारपीट करती रही। इसके बाद 100 नंबर पर कॉल कर पुलिस को बुलाया और छेड़खानी के आरोप में रतन को हिरासत में ले लिया। पड़ोस में रहने वाले लोगों ने पुलिस को छेड़खानी के आरोप गलत बताए। इसके बाद भी पुलिस वाले नहीं माने और रतन सिंह को थाने ले जाने लगे। इसके बाद प्रियांशी ने घर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

एसपी सिटी सलमान ताज पाटिल का कहना है कि कार्यवाहक प्रधानार्चाय समेत छह शिक्षिकाओं के खिलाफ केस दर्ज किया है। इनमें शशि, कविता, अशोक, मधु, दुर्गेश और प्रियंका शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि स्कूल ने तीन माह की फीस के रूप में 11 हजार रुपये बकाया दिखाए थे। जब शिक्षिकाएं प्रियांशी के घर पहुंची, तब उसके पिता रतन सिंह ने प्रिंसिपल को बैठने के लिए कुर्सी दी। प्रिंसिपल कुर्सी पर तो नहीं बैठी, उल्टे रतन को थप्पड़ जड़ दिया। डीएसपी ने हायर सेकेंड्री पब्लिक स्कूल के खिलाफ शिक्षा विभाग ने जांच बिठा दी है। जिला विद्यालय निरीक्षक आरएस यादव ने कर्मचारियों को मौके पर जाकर जांच करने और उसके बाद कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। डीआईओएस ने बताया कि स्कूल प्रशासन को किसी छात्र-छात्र के घर पहुंचकर फीस आदि की वसूली का अधिकार नहीं है। उधर, बीएसए ने स्कूल के खिलाफ जांच की बात कही है।

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