आप ने पूछा- 1975 में इमरजेंसी के दौरान नरेंद्र मोदी भूमिगत थे, फिर परीक्षा कैसे दी –

नई दिल्ली : आप नेताओं ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी साथ दिल्ली विश्वविद्यालय चलने का निमंत्रण दिया था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री के संबंध में आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा चलाया जा रहा पड़ताल अभियान मंगलवार (10 मई) को भी जारी रहा। पार्टी के चार नेता दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) पहुंचे और कुलपति से मिलने की कोशिश की, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से उन्हें बुधवार को मिलने का समय दिया गया। साथ ही आप नेताओं ने पीएम की डिग्री को फर्जी साबित करने के संबंध में कुछ और तथ्य भी पेश किए और आरोप लगाया कि इस ‘फर्जीवाड़े’ के पीछे बहुत बड़ा षडयंत्र है। पार्टी ने डीयू के अंदर ‘भय और दबाव’ का माहौल होने का भी आरोप लगाया। गौरतलब है कि भाजपा की तरफ से सोमवार (9 मई) को पीएम की डिग्री और मार्कशीट की प्रतियां जारी की गई थीं, जिसे आप ने फर्जी करार दिया था।

मंगलवार (10 मई) लगभग सवा तीन बजे आप के चार नेता – आशुतोष, संजय सिंह, आशीष खेतान और दिलीप पांडे – डीयू पहुंचे, जहां किसी आशंका को देखते हुए भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। मुलाकात की कोशिशों के बाद आप नेताओं ने बताया कि बुधवार (11 मई) को तीन बजे कुलपति से मिलने का समय दिया गया है। संजय सिंह ने कहा, ‘कल सोमवार (9 मई) को अमित शाह और अरुण जेटली ने डिग्री और मार्कशीट की प्रतियों को सार्वजनिक कर कहा था कि डीयू से इनका सत्यापन करवा सकते हैं। आज हम यहां आए तो भय का माहौल है, कोई बोलने को तैयार नहीं है। हमें बताया गया कि कुलपति व्यस्त हैं, रजिस्ट्रार बाहर गए हुए हैं और परीक्षा नियंत्रक और डिप्टी रजिस्ट्रार से मुलाकात नहीं हो सकती। बहुत मुश्किल से हमें यह कहा गया कि बुधवार (11 मई) को तीन बजे वीसी मुलाकात करेंगे’।

संजय सिंह ने आरोप लगाया कि अगर नरेन्द्र मोदी की डिग्री इतनी सही और सच्ची है तो सीआइसी के आदेश के बावजूद डीयू और कुलपति उसे सार्वजनिक क्यों नहीं कर रहे हैं। उससे जुड़े रिकॉर्ड्स क्यों नहीं दिखाए जा रहे हैं। आप नेता आशुतोष ने प्रधानमंत्री की डिग्री के संबंध में कुछ और तथ्य पेश करने की कोशिश की। आशुतोष ने किसी और के 1978 और 1980 की डिग्री और मार्कशीट की प्रतियों का मिलान मोदी की डिग्री और मार्कशीट से की।

आप नेता ने कहा कि विश्वविद्यालय का नाम मोदी की प्रतियों में स्टाइल में टाइप किया गया है जबकि दूसरे व्यक्ति वाले में यह सरल तरीके से लिखा है। साथ ही मोदी की डिग्री और मार्कशीट में कहीं कुछ भी हाथ से नहीं लिखा है चाहे नाम हो, अंक हो, टोटल मार्क्स हो, ग्रैंड टोटल मार्क्स हो जबकि उसी समय की किसी और की डिग्री में ज्यादातर चीजें हाथ से हैं। आशुतोष का कहना है, ‘ऑरिजनल मार्कशीट में ज्यादातर चीजें हाथ से लिखी हैं क्योंकि 1978 में देश में कंप्यूटर नहीं था और टाइपराइटर में इस तरह के टैब्युलेशन में दिक्कत के कारण हाथ से लिखा जाता था’। आशुतोष ने आरोप लगाया कि जिस व्यक्ति ने फर्जीवाड़ा किया है उसने बचने की पूरी कोशिश की है, हाथ का इस्तेमाल नहीं किया गया ताकि फोरेंसिक जांच में पकड़ा न जाए।

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