असम के अधिकतर इलाक़े भीषण बाढ़ की चपेट में हैं. भूटान और सीमावर्ती राज्य अरूणाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के कारण प्रदेश में बाढ़ का पानी बढ़ता जा रहा है और हालात लगातार ख़राब हो रहें है.
बाढ़ के कारण पिछले तीन दिनों में 10 से अधिक लोगों की मौत हो गई है.
इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल से फ़ोन पर बाढ़ की मौजूदा स्थिति की जानकारी ली है.
राज्य विधानसभा में जल संसाधन मंत्री केशव महंत ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि गृहमंत्री ने केंद्र सरकार की तरफ़ से राज्य की हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया है.
असम सरकार ने कहा है कि राहत और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव के उपाय फ़िलहाल सरकार की प्राथमिकता है.

असम में बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या पिछले 24 घंटे में बढ़कर तीन गुना हो गई है.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ताज़ा रिपोर्ट में मंगलवार शाम तक बाढ़ से प्रभावित लोगों की संख्या 16 लाख 70 हज़ार से अधिक बताई गई है.
असम के 19 ज़िलों में 2653 गांव बाढ़ की चपेट में हैं. राज्य के कई इलाक़े ऐसे हैं जहां बाढ़ के कारण बिजली-पानी और यातायात व्यवस्था पूरी तरह से ठप पड़ गई है.
कई इलाक़ों में बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए सेना की मदद ली जा रही है.
राज्य में ब्रह्मपुत्र ख़तरे के निशान से क़रीब 21 मीटर ऊपर बह रहा है. वहीं इसकी सहायक नदियां भी काफ़ी उफ़ान पर हैं.
विधानसभा में एक बयान देते हुए संसदीय कार्य मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल भूटान के कुरीसु बांध से पानी छोड़ने के मामले पर केंद्र के साथ बात करेंगे.
ऐसा माना जा रहा है कि इस बांध का पानी छोड़ने से ही निचले असम के कई इलाक़े डूबे हुए है.
विश्व प्रसिद्ध काज़ीरंगा राष्ट्रीय पार्क भी बाढ़ की चपेट में है.
काज़ीरंगा राष्ट्रीय पार्क के प्रभागीय वन अधिकारी शुभाशीष दास ने एक बयान जारी कर कहा कि पार्क का 80 फ़ीसदी इलाक़ा बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है और जानवरों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाने के लिए बचाव कार्य जारी हैं.
काज़ीरंगा वन्यजीव पार्क के सैकड़ों जानवर – हाथी, हिरण,बाघ और एक सींग वाले गैंडे बाढ़ के पानी से बचने के लिए कार्बी आंगलोंग जिले की पहाड़ियों की तरफ़ पलायन कर गए है.

इस अफरा तफरी के बाद बाढ़ के पानी में डूबने और राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों के साथ टकराने से अबतक 9 हिरण की मौत हो गई है.
प्रशासन की तरफ़ से विभिन्न ज़िलों में खोले गए 322 राहत शिविरों में बाढ़ से बेघर हुए क़रीब एक लाख 28 हज़ार लोगों ने शरण ले रखी है.
प्रदेश में एक लाख 37 हज़ार हेक्टेयर से अधिक खेती की ज़मीन को बाढ़ के पानी से बुरी तरह नुक़सान पहुंचा है.
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