गोधरा: फ़ारूख़ भाना को पकड़ने में 14 साल क्यों लगे?

गुजरात पुलिस ने गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने की घटना के प्रमुख साज़िशकर्ता को गिरफ़्तार करने का दावा किया है.

गुजरात पुलिस के एटीएस के प्रमुख हिमांशु शुक्ल ने स्थानीय पत्रकार प्रशांत दयाल को बताया, “फारूख़ भाना गोधरा कांड के मुख्य अभियुक्त हैं.”

लेकिन मुख्य अभियुक्त फारूख़ मोहम्मद भाना को गिरफ्तार करने में 14 साल क्यों लगे?

साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 58 लोग मारे गए थे, जिनमें से कई अयोध्या से कार सेवा कर लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता थे.

इसके बाद गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगे भड़के थे और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कम से कम एक हज़ार लोग मारे गए थे जिनमें से अधिकतर मुसलमान थे.

गुजरात पुलिस के एटीएस प्रमुख हिमांशु शुक्ल ने  बताया के “फारूख़ मोहम्मद साल 2002 में पोलण बाजार के पूर्व कॉरपोरेटर थे. वे 27 फरवरी 2002 से ही फरार थे.”

हिमांशु शुक्ल का दावा है, “भाना भेस बदल बदल कर अलग अलग जगहों पर घूमते रहे. पिछले कुछ सालों से वे मुंबई में उमर नाम से छिप कर रह रहे थे.”

पुलिस का कहना है कि उन्होंने फारूख़ भाना को गोधरा के कालण में एक टोल प्लाजा से गिरफ्तार किया.

फारूख़ गोधरा मामले के कुल 12 भगोड़े अभियुक्त में से पकड़े जाने वाले अंतिम अभियुक्त हैं.

हिमांशु शुक्ल के अनुसार, “गोधरा में उन्होंने अपने परिवार और सहअभियुक्तों से संपर्क काट दिया था. बार बार भेस बदलने और नाम बदलने के कारण पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने में 14 साल लग गए.”

पुलिस का कहना है कि बुधवार को भाना जैसे ही गोधरा में अपने परिवार से मिलने आए, पुलिस को सुराग मिल गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

आखिर उन पर लगाए गए मुख्य आरोप क्या हैं?

हिमांशु शुक्ल ने बीबीसी के मोहनलाल शर्मा को बताया, “2002 की 27 तारीख को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में सुबह आग लगाई गई थी. उसके एक दिन पहले गोधरा में अमन गेस्ट हाउस में इसकी साजिश रची गई थी.

हिमांशु शुक्ल ने बताया, “अदालत ने उनके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 17 के तहत वारंट जारी किया था. अब वे पहले अदालत के सामने पेश होंगे और फिर जांच टीम को फारूख़ की कस्टडी मिलने पर उन्हें पुलिस हिरासत में भेजा जाएगा.”

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