भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविधालय (आरजीपीवी) द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, वहीं संबद्ध कॉलेजों में अपात्र टीचर शिक्षा दे रहे हैं। यह आरजीपीवी द्वारा तीन साल पहले लिए गए टीचर एलेजेविलटी टेस्ट (टीईटी) से साबित हो चुका है। इस पात्रता परीक्षा में 80 फीसदी टीचर फेल हो गए थे, लेकिन टीचरों की कमी के कारण फेल टीचरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उल्लेखनीय है एआईसीटीई के निर्देशानुसार प्राइवेट कॉलेजों में कॉलेज कोड-28 के तहत शिक्षकों की नियुक्ति की जाना है। आरजीपीवी द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अपने संबद्ध सभी निजी कॉलेजों में हर साल यह पात्रता परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया था। इसी के तहत आरजीपीवी में 6 मार्च 2016 को टीएटी का आयोजन किया था। इसमें मात्र 20 फीसदी शिक्षक उत्तीर्ण हो पास थे। आरजीपीवी ने यह परीक्षा इंजीनियरिंग, फार्मेसी, एमसीए सहित अन्य कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए आयोजित की गई थी। आरजीपीवी ने इस टेस्ट के आधार पर इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति किए जाने की बात कही है।
80 फीसदी शिक्षक फेल होने और शिक्षकों के विरोध के बाद यह मामला शांत हो गया। अधिकारियों के अनुसार अगर इस नियम को लागू करते हैं, तो प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों को पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं मिलेंगे।
छूट की समय सीमा दो साल पहले समाप्त
निजी कॉलेजों के लिए एआईसीटीई द्वारा 2011 कॉलेज कोड-28 की अनिवार्यता लागू की गई थी, जिसके तहत शिक्षकों की अर्हताएं निश्चित की गर्इं, लेकिन उन अर्हताओं के चलते निजी में शिक्षकों का मिलना मुश्किल हो गया और एआईसीटीई ने 3 साल की छूट दी। यह अवधि भी 2015 में समाप्त हो चुकी है।
274 शिक्षक में ही पढ़ाने की योग्यता
टीईटी के हिसाब से प्रदेश में अभी सिर्फ 274 शिक्षक ही ऐसे थे जो पढ़ाने की योग्यता रखते हैं।
सभी निजी तकनीकी शिक्षण संस्थानों को लगभग 3 हजार से अधिक शिक्षकों की जरूरत है। प्रदेश में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या 130, एमसीए के 55, बी-आर्क के 6, डीफार्मा के 23 और फार्मेसी के 74 कॉलेज हैं। इनमें 20 हजार से अधिक शिक्षक पढ़ाते हैं। भोपाल में इंजीनियरिंग के 75, फार्मेसी के 35 और एमसीए के करीब 25 कॉलेज हैं।
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