केंद्र सरकार ने जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन- आईआरएफ को गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून- यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। जाकिर नाइक और उसकी संस्था पर आतंकवाद को शह देने और धार्मिक सौहार्द्र बिगाड़ने का आरोप लगाया गया है।
विदेशों से हासिल चंदे का दुरुपयोग करने का आरोप भी आईआरएफ पर लगा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में आईआरएफ पर कार्रवाई का फैसला लिया गया।
सभी गतिविधियों पर रोक
सूत्रों ने कहा कि आईआरएफ के खिलाफ कार्रवाई यूएपीए की धारा तीन -1 और धारा तीन -3 के तहत की गई है। जाकिर नाइक और उनकी संस्था पर धारा 153 के तहत धार्मिक सौहार्द्र बिगाड़ने का भी आरोप पुख्ता पाया गया है।
सूत्रों ने कहा कि फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। जाकिर की संस्था पर कानूनी एजेंसियां पूरी नजर रखेंगी। उसे किसी भी तरह की गतिविधि संचालित करने या चंदा लेने की इजाजत नहीं होगी।
गहन छानबीन के बाद हुई कार्रवाई
सूत्रों ने कहा कि कार्रवाई के पहले जांच एजेंसियों ने जाकिर नाइक के भाषणों की गहन छानबीन की थी। संस्था की गतिविधियों को खंगाला गया। जाकिर के खिलाफ महाराष्ट्र और केरल में दर्ज एफआईआर को भी आधार बनाकर जांच की गई। एनआईए,आईबी,महाराष्ट्र पुलिस सहित अन्य एजेंसियां जाकिर और उसकी संस्था के खिलाफ शिकायतों की पड़ताल कर रही थीं।
आईएस संदग्धिों से भी संपर्क
सूत्रों ने कहा कि केरल से भागकर आईएस में शामिल होने सीरिया गए युवकों का भी जाकिर की संस्था से जुड़ाव जांच में सामने आया है। जाकिर के भड़काऊ भाषण के मामले भी पुख्ता पाए गए हैं। दूसरे धर्मों के प्रति दुर्भावना फैलाकर लोगों को भड़काने का पुख्ता सबूत भी जांच एजेंसियों के हाथ लगा है। गृहमंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि जांच एजेंसियां प्रतिबंध के बाद संपत्तियों को सीज करने सहित अन्य कानूनी कार्रवाई करेंगी।
ढाका हमले के बाद शुरू हुई थी जांच
गौरतलब है कि बांग्लादेश में आतंकी घटना के बाद जाकिर की संस्था के खिलाफ जांच शुरू की गई थी। ढाका हमले में शामिल इम्तियाज को जाकिर के भाषणों से प्रेरित बताया गया था। इसके बाद से ही जाकिर की संस्था जांच एजेंसियों के रडार पर थी। आतंकरोधी जांच एजेंसी एनआईए के अलावा आईबी, ईडी, महाराष्ट्र पुलिस जाकिर की संस्था के खिलाफ विभन्नि आरोपों की जांच कर रहे थे।
प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए जाने के बाद ही सरकार ने आईआरएफ को बिना सरकार की अनुमति के विदेशी चंदा लेने पर रोक लगाई थी। जाकिर की संस्था का गलती से एफसीआरए नवीनीकरण करने वाले अधिकारियों को निलबिंत भी कर दिया गया था।
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