Indore : मध्यप्रदेश के देवास में आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की हत्या के मामलें में कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सहित आठ अभियुक्तों को बरी कर दिया है.
सुनील जोशी की हत्या देवास में 29 दिसंबर 2007 को हुई थी. यह फैसला देवास में एडीजे राजीव कुमार आप्टे ने सुनाया.
यह मामला 2011 में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) को सौंपा गया था ताकि देश में उस वक़्त कथित ‘भगवा आतंकवाद’ के आरोपों की जांच की जा सकें.
इस मामलें में प्रज्ञा ठाकुर सहित हर्षद सोलंकी, रामचरण पटेल, वासुदेव परमार, आनंदराज कटारिया, लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और जितेंद्र शर्मा को आरोपी बनाया गया था.
इन पर हत्या, साक्ष्य छुपाने और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था.
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़ी हुई थी और उनकी गिरफ़्तारी मालेगांव ब्लास्ट केस में की गई थी. प्रज्ञा ठाकुर कई तरह की बीमारियों से जूझ रही है और उनका इलाज इस वक़्त भोपाल में हिरासत में चल रहा है. साधवी प्रज्ञा इलाज की वजह से कोर्ट में मौजूद नहीं थी.
सोलंकी बड़ौदा से ताअल्लुक रखते है और अजमेर जेल में बंद है. सुनील जोशी की हत्या के मामलें से पहले उनका नाम 2007 के अजमेर दरगाह ब्लास्ट में भी आ चुका था. इसके अलावा उस पर यह भी आरोप है कि उसने 2002 में बड़ौदा की बेस्ट बेकरी में आग लगाई थी जिसमें 14 लोगों की जान चली गई थी.
राजेंद्र, सुनील जोशी हत्याकांड के मुख्य आरोपी थे. समझौता ब्लास्ट मामले में भी ये अभियुक्त हैं जिसकी सुनवाई पंचकूला अदालत में चल रही है. यही वजह है कि इन्हें पंचकूला जेल में रखा गया है.
मऊ निवासी लोकेश शर्मा पर सुनील जोशी की हत्या के साथ ही समझौता ब्लास्ट, मालेगांव ब्लास्ट, मक्का मस्जिद ब्लास्ट और अजमेर ब्लास्ट का भी आरोप है. लोकेश शर्मा भी अभी पंचकूला जेल में बंद है.
जितेंद्र शर्मा भी मऊ के रहने वाले है और उन पर आरोप था कि उन्होंने हत्या में मदद की थी वो फिलहाल जमानत पर बाहर है.
रामचरण पटेल और वासुदेव परमार दोनों देवास के है और इन पर भी हत्या में मदद करने का आरोप थे.
आनंदराज कटारिया इंदौर के व्यापारी है और फिलहाल ज़मानत पर हैं.
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