भारत-चीन सीमा विवाद कहीं पिस न जाए आम जनता

नई दिल्लीः सीमा विवाद को लेकर चल रही तनातनी के बीच भारत और चीन के व्यापार में इसका फर्क देखने को मिल सकता है। भारत चीन का सबसे बड़ा बाजार है। चीन कंपनियां बड़ी संख्या में भारत में अपना सामान बेचती हैं। इन कंपनियों में लिनोवो, हायर, हवाई, टीसीएल, ओप्पो, वीवो जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं।

रोजमर्रा की आइट्मस हो जाएंगी मंहगी
अगर भारत और चीन के बीच व्यापार बंद होता है तो भारतीय व्यपारियों समेत आम जनता को भी इसका नुक्सान होगा क्योंकि भारत चीन से 16 प्रतिशत वस्तुएं आयात करता है जिसमें रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग की जाने वाली वस्तु से लकर लग्जरी आइट्मस तक सब शामिल हैं। चीन से आयात की जाने वाल आइट्मस में साइकिल, खेलों का सामना, खिलौने, कपड़ा, वेजिटेबल आयल, शहद, मैडिसीन, कैमरा अहम हैं।

निर्यात केवल 4 प्रतिशत
भारत चीन से जो चीजें निर्यात करता है उनमें मोबाइल, टीवी, चार्जर, मेमोरी कार्ड और म्‍यूजिक उपकरण सबसे अहम हैं। इसके अलावा बर्तन, ऑटो एसेसरीज, बिल्‍डिंग मैटीरियल, सेनेटरी आइटम, किचन आइटम, टाइल्‍स, मशीनें, इंजन, पंप, केमिकल, फर्टिलाइजर, आयरन एवं स्‍टील, प्‍लास्‍टिक, बोट और मेडिकल एक्‍यूपमेंट शामिल हैं। हालांकि भारत केवल चीन को केवल 4 प्रतिशत ही निर्यात करता है।

चीन को भी लगेगा करारा झटका
भारत से व्यापार रद्द होने के बाद सबसे ज्यादा नुक्सान चीन को होने वाला है। चीन अपने यहां सामान बनाकर भारत में बेचने का काम करता है। चीन का निवेश भारत के मुकाबले 5 गुना कम है। अगर आने वाले समय में चीनी कंपनियों पर भारत में प्रतिबंध लगता है तो न केवल चीन की मार्किट बल्कि अर्थव्यवस्था में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

चीन पर बढ़ती भारत के निर्भरता
चीन पर भारत की बढ़ती निर्भरता चिंता का सबब बनती जा रही है। अगर चीन-भारत के व्यापारिक सहयोग की बात करें तो पिछले कुछ सालों में इसमें बड़ा उछाल देखने को मिला है। बीते 15 सालों में इन दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 24 गुना बढ़ा है। साल 2000 में यह 2.9 बिलियन डॉलर का था और साल 2016 आते-आते यह 70.8 बिलियन अमरीकी डॉलर का हो गया है। भारत अब चीन से व्यपारिक रिश्ते खराब करने की स्थिती में नहीं है क्योंकि वह इसके लिए तैयार नहीं है। अगर भारत चीन से जरुरत की वस्तुएं आयात नहीं करता तो उसे दुगने दामों में यही वस्तुएं और कंपनियों से खरीदनी पड़ेगी।

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