आगरा. नोटबंदी के बाद कारोबार चौपट हुआ तो पेट भरने के लाले पड़ गए. फीस अदा न करने पर बच्चों को अगली कक्षा में दाखिला नहीं करा पाए.
17, ईको कॉलोनी रोहता निवासी विनोद शर्मा और उनकी पत्नी आरती शर्मा कपड़े का कारोबार करते हैं. उनकी तीन बेटियां निधि 9वीं, नव्या 7वीं, नंदनी 5वीं जबकि बेटा शौर्य दूसरी कक्षा में सेंट क्वीन मैरी स्कूल, मधु नगर में हैं. नोटबंदी के बाद कारोबार में नुकसान हो गया. उनके चारों बच्चों की स्कूल और ऑटो की एक महीने की फीस 10 हजार रुपये है. कई महीने से फीस जमा न होने पर स्कूल ने रिजल्ट कार्ड नहीं दिया है.
बच्चों की पढ़ाई के लिए मां ने मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी से गुहार लगाई. निराश मां ने अब अपनी किडनी बेचने का इश्तहार सोशल मीडिया पर दिया है, ताकि बच्चों की पढ़ाई के लिए वह फीस अदा कर सके.
दंपती का कहना है कि नोटबंदी के बाद कारोबार में नुकसान हो गया. कई महीने फीस जमा न होने पर स्कूल ने रिजल्ट कार्ड नहीं दिया. बच्चों को अगली कक्षा में दाखिला भी नहीं करा पाए.
बकौल आरती, बच्चों की पढ़ाई के लिए अप्रैल में एडीएम सिटी धर्मेंद्र सिंह से मिलीं. 29 अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में मिलीं. उन्होंने आश्र्वासन दिया.
एक महीने के इंतजार के बाद भी मदद न मिलने पर 24 मई को डीएम गौरव दयाल से भी गुहार लगाई.
मदद न मिलने से निराश होकर बेटियों को पढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर अब उन्होंने अपनी किडनी बेचने के लिए पत्र पोस्ट किया है.
जिलाधिकारी गौरव दयाल ने बताया कि लेखपाल से पूरे मामले का परीक्षण करा रहे हैं. अगर परिवार वाकई जरूरतमंद होगा तो मदद के लिए शासन को संस्तुति की जाएगी.
आरती शर्मा के मुताबिक फीस न भरने के कारण उनके तीनों बेटियों और बेटे को स्कूल से बाहर निकाल दिया गया. अपने बच्चों का भविष्य बचाने के लिए आरती ने जिलाअधिकारियों के सामने मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
योगी आदित्यनाथ ने पूरी तरह से भरोसा दिलाया कि उसकी बेटियों को पढ़ाई के लिए पूरा खर्चा सरकार देगी लेकिन आज तक उसकी सुनवाई नहीं हुई.
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