राजगढ़ ज़िले में नई पुलिस कप्तान के आने से चोरों के साथ भ्रष्ट पुलिस कर्मियों में भी हड़कम्प मच गया है. दो माह से 35 लाख कीमत की संदिघ्ध लक्ज़री गाड़ी में तफरी कर रहे पुलिस कर्मी राज़ खुलने के डर से खुद वाहनों को नाटकीय ढंग से छिपाते रहे. आखिर एक गाड़ी को तो राजगढ़ पुलिस लावारिस मानकर थाने ले आई. लेकिन दूसरी आलीशान गाड़ी को ग़ायब कर दिया गया. पुलिस मामले की छानबीन में जुटी हुई है.
मिली जानकारी के अनुसार ब्यावरा देहात और सुठालिया थाने के प्रभारी सहित स्टॉफ के लोग दो नई गाड़ी सफेद फॉर्च्यूनर (35 लाख) और लाल कलर की क्वांटो कार से खूब तफरी करते देखे गए. लेकिन इन गाड़ियों के तार जनचर्चा के तहत भोपाल में पकड़े गए मादक पदार्थ तस्करों से जुड़े थे. इन गाड़ियों को चोरी का बताया जा रहा है. इस बीच राजगढ़ पुलिस कप्तान के बदलते ही इन दोनों गाड़ियों से घूम रहे पुलिस कर्मियों ने इन गाड़ियों को राजगढ़ पुलिस लाइन में ले जाकर खड़ा कर दिया.
लेकिन मामला एसपी के पास पहुंचते ही इन गाड़ियों को वहां से हटाकर राजगढ़ बस स्टैंड दरगाह के सामने सुनसान जगह पर छोड़ दिया गया. 1 नवम्बर को पुलिस लाइन से हटाकर खड़ी इन गाड़ियों की तस्वीर भी मौजूद है. साथ ही पुलिस लाइन और ब्यावरा देहात थाने में खड़ी इन गाड़ियों की तस्वीर भी कैमरे में कैद है. इसलिए अब बड़ा सवाल यह है कि जो गाड़ी कल तक पुलिस लाइन में खड़ी थी, आज वे लावारिस और संदिग्ध कैसे हो जा सकती हैं.
वैसे ये दोनों गाड़ियां चोरी की बताई जा रही हैं. लेकिन इनको अगर पुलिस ने पकड़ा भी था तो सिर्फ गाड़ियां रखकर इन गाड़ियों के मालिकों को क्यो छोड़ दिया गया. पुलिस एक वाहन को थाने में लाकर मामले की जांच में जुट गई है.
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