अगले वर्ष तक एक साथ चुनाव कराने में सक्षम होगा आयोग: रावत

भोपाल। चुनाव आयोग के पास अगले साल सितंबर तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने के लिए जरूरी संसाधन हो जाएंगे। इसके लिए 40 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वीवीपैट की जरूरत होगी, जिनकी आपूर्ति का सिलसिला शुरू हो गया है।

यह बात भारत निर्वाचन आयोग के निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय भोपाल में ईआरओ नेट का शुभारंभ करने के बाद मीडिया से चर्चा में एक सवाल में जवाब में कही।

रावत ने बताया कि केंद्र सरकार ने आयोग से एक साथ चुनाव कराने को लेकर पूछा था। उन्हें बताया गया था कि इतनी तादाद में ईवीएम और वीवीपैट नहीं हैं। इसके लिए यदि धनराशि दी जाती है तो हम सक्षम होंगे। केंद्र ने ईवीएम के लिए 12 हजार करोड़ रुपए और वीवीपैट के लिए 3 हजार 400 करोड़ रुपए मुहैया कराए हैं।

मशीनों की आपूर्ति का काम शुरू हो गया है। सितंबर 2018 तक संसाधन के तौर पर आयोग एक साथ चुनाव कराने में सक्षम होगा पर इसके लिए नियम, कानूनों में संशोधन के लिए केंद्र को कई कदम उठाने होंगे, इसलिए हम नहीं कह सकते हैं कि कब तक एक साथ चुनाव कराए जा सकेंगे।

ईआरओ नेट के बारे में उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से देश और प्रदेश के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एक छतरी के नीचे आ गए हैं। मतदाताओं को भी यह सहूलियत रहेगा कि वे अपना पता, नाम सहित अन्य संशोधन इस एप में आवेदन कर करा सकेंगे।

आवेदन होते ही ये संबंधित अधिकारी तक पहुंच जाएगा। साथ ही सॉफ्टवेयर यह बता देगा कि इस नाम, फोटो और पहचान के कितने मतदाता प्रदेश में हैं। सत्यापन की प्रक्रिया में यदि यह पाया जाता है कि संबंधित व्यक्ति का दो जगह नाम लिखा है तो एक जगह से काट दिया जाएगा। इस व्यवस्था से निष्पक्ष और पारदर्शी मतदाता सूची तैयार करने में मदद मिलेगी।

डाटा को सुरक्षित रखने की व्यवस्था भी बनाई गई है। पिछले एक साल में प्रदेश में सवा लाख से ज्यादा ऐसे मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा चुके हैं, जिनके नाम दो जगह थे। इस दौरान उप निर्वाचन आयुक्त संदीप सक्सेना, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह, संचालक आईटी वीएन शुक्ला सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

ई-वोटिंग की दिशा में पहली सीढ़ी

ई-वोटिंग का अधिकार मतदाताओं को दिए जाने के सवाल पर निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि ईआरओ नेट को इस दिशा में पहली या दूसरी सीढ़ी माना जा सकता है। वैसे भी सर्विस वोटर्स को ऑनलाइन फॉर्म दिए जाने लगे हैं। वे इसके जरिए अपना वोट डालकर भेज देते हैं। मतदाता सूची को आधार से जोड़ने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर मामला विचाराधीन है।

वीवीपैट का उपयोग अनिवार्य

चुनाव आयोग ने अब आम से लेकर उपचुनाव तक में वीवीपैट का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में मतदाता को उसका वोट कहां गया, यह जानने के लिए व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए थे। गोवा विधानसभा चुनाव चार मतदान केंद्रों पर जांच भी हो चुकी है कि मतदाता ने जिसे वोट किया, उसे ही गया। वीवीपैट में सात सेकंड के लिए वोटिंग स्लिप दिखाई देते हैं। इससे मतदाता निश्चिंत हो जाता है कि उसने जिसे वोट दिया, उसे ही गया या नहीं।

समय रहते कराए जाएंगे उपचुनाव

प्रदेश की दो विधानसभा सीट चित्रकूट और मुंगावली उपचुनाव की घोषणा को लेकर पूछे सवाल के जवाब में निर्वाचन आयुक्त रावत ने कहा कि समय पर चुनाव कराए जाएंगे। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि आयोग का हिमाचल प्रदेश दौरा हो गया है। गुजरात में भी आयोग जल्द ही जाएगा। उप निर्वाचन आयुक्त दौरा कर चुके हैं। जब चुनाव तैयारियों से हम संतुष्ट हो जाएंगे, चुनाव की घोषणा कर दी जाएगी।

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