अदालत से ट्रंप प्रशासन को लगा सबसे बड़ा कानूनी झटका

सिएटल। फेडरल कोर्ट ने ट्रंप सरकार को करारा कानूनी झटका दिया है। सिएटल की अदालत ने सात मुस्लिम देशों पर वीजा प्रतिबंध लगाने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासकीय आदेश पर देश भर में अस्थाई रोक लगा दी है।
वाशिंगटन राज्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए जज जेम्स रॉबर्ट ने शुक्रवार को यह फैसला दिया। उन्होंने सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा की दलील को खारिज कर दिया। ट्रंप प्रशासन ने फैसले को चुनौती देने की बात कही है। निर्णय के तुरंत बाद सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा विभाग ने विमानन कंपनियों को प्रभावित लोगों को बोर्ड करने की अनुमति देने का निर्देश जारी कर दिया।
राष्ट्रपति ट्रंप ने 27 जनवरी को शासकीय आदेश जारी कर ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के नागरिकों की अमेरिकी यात्रा पर तीन महीनों के लिए अस्थाई रोक लगा दी थी।
सुरक्षा जांच के बाद इन देशों पर से प्रतिबंध हटाने की बात कही गई थी। इससे पहले दो इराकी नागरिकों ने ब्रुकलिन की फेडरल कोर्ट में अर्जी देकर राष्ट्रपति के शासकीय आदेश से राहत की मांग की थी।
इस पर फेडरल जज ने दोनों इराकियों समेत सभी वैध वीजाधारियों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति दे दी थी। सिएटल फेडरल कोर्ट ने अब देशव्यापी रोक लगाने का निर्णय दिया है। विदेश विभाग के मुताबिक वीजा प्रतिबंध के बाद तकरीबन 60 हजार लोगों का वीजा निलंबित किया जा चुका है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अदालती फैसले के बाद निलंबन खुद-ब-खुद निरस्त होंगे या प्रभावितों को फिर से आवेदन करना होगा।
वाशिंगटन ने किया अदालती लड़ाई का नेतृत्व
ट्रंप के आदेश के खिलाफ कई अदालतों में याचिकाएं दाखिल की गई हैं, लेकिन वाशिंगटन राज्य की ओर से पहली बार शासकीय आदेश की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी। बाद में मिनेसोटा राज्य भी इसमें शामिल हुआ था।
दिलचस्प है कि जस्टिस रॉबर्ट को रिपब्लिकन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने ही नियुक्त किया था। वाशिंगटन राज्य ने यात्रा प्रतिबंध से आर्थिक नुकसान होने की बात कही थी। अमेजन और एक्सपीडिया जैसी कंपनियों ने इसका समर्थन किया था। अदालत ने कहा कि राज्यों को राष्ट्रपति के आदेशों के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाने का पूरा अधिकार है। इससे पहले ट्रंप सरकार ने दलील दी थी कि राज्यों को राष्ट्रपति के फैसले पर निर्णय का अधिकार नहीं है।
फैसले को दी जाएगी चुनौती
अदालत के निर्णय के तुरंत बाद व्हाइट हाउस ने इसे चुनौती देने की घोषणा की। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कानून मंत्रालय द्वारा आपात अपील दायर करने की बात कही गई थी। हालांकि, बाद में इसका खंडन करते हुए विचार विमर्श के बाद अपील दाखिल करने की बात कही गई।
वहीं, वाशिंगटन के गवर्नर जे. इंसली ने कहा कि कोई भी व्यक्ति यहां तक कि राष्ट्रपति भी कानून से ऊपर नहीं हैं। 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद से ट्रंप के खिलाफ 52 मुकदमे दायर किए जा चुके हैं।
तथाकथित जज का विचार देश में कानून के असर को कम करने वाला है। इस बेतुके फैसले को बदला जाएगा। -डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति

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