चंडीगढ़। जिस गुरमीत की उगाई सब्जियां और फल लाखों रुपये में बिका करती थी, अब वही रोहतक की सुनारिया जेल में सब्जियां उगाएगा।
उसके द्वारा उगाई गई सब्जी अब न तो किसी भक्त को मिलेगी और न ही बाहर बिकेगी। जेल में जो भी सब्जी पैदा होगी, वह कैदियों के काम आएगी। सुनारिया जेल में काफी जगह खेती के लिए खाली पड़ी है।
उस पर सब्जियां उगाने का काम अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में शुरू होगा। गुरमीत ने सब्जियों की खेती करने की इच्छा जताई थी। लिहाजा उसे वही काम दिया जा रहा है।
जेल में जब तक सब्जी की खेती शुरू नहीं होती, तब तक उसे बैरक के सामने खड़े पेड़-पौधों की कटाई-छंटाई का काम दिया गया है। इस कार्य को अकुशल कार्य की श्रेणी में माना जाता है, जिसका मेहनताना भी 20 रुपये रोज है।
जेल में अधिकतम आठ घंटे काम करने का प्रावधान है। इससे अधिक अवधि तक हर रोज कोई कैदी काम नहीं कर सकता। गुरमीत अक्टूबर से सब्जियां उगाएगा। तब तक उसे पेड़ों को दुरुस्त करने का काम सौंपा गया है।
-डॉ. केपी सिंह, जेल महानिदेशक
इस रेट पर बेची थी डेरे में उगाई सब्जियां
डेरे में सब्जियां सोने के भाव मिलती थी। एक पपीते की कीमत पांच हजार थी तो बैंगन भी दो से तीन हजार रुपये से कम नहीं मिलता था।
सब्जी का पूरा टोकरा एक करोड़ रुपये तक में बेचे जाने की खबरें सामने आई थी। सेब डेढ़ लाख रुपये किलो में बिकते थे तो किन्नू और संतरे भी काफी महंगे थे।
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