अब नए मतदाताओं को मिलेगी यूनिक वोटर आईडी

जबलपुर. आधार कार्ड के यूनिक नंबर की तरह अब शहर के साथ प्रदेश के मतदाताओं को यूनिक वोटर आईडी नंबर दिया जाएगा. केंद्रीय निवार्चन आयोग की पहल ईआरओ नेट सेवा की शुरुआत अब मध्यप्रदेश में भी की गई है. इसके माध्यम से अब वोटर आईडी के लिए आवेदन करने वाले नए मतदाताओं को यूनिक वोटर आईडी नंबर देने की प्रक्रिया आज से शुरू हो जाएगी. अब तक था अलग सेटअप अभी तक हर राज्य के निर्वाचन आयोग का अलग सेटअप था. हर राज्य की वोटर आईडी और मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया अपनी होती थी. राज्यों का अपना सर्वर होता था, जिस पर उनका निर्वाचन संबंधित डेटा उपलब्ध रहता था. अब जुड़ा प्रदेश का सर्वर अब केंद्रीय निर्वाचन आयोग के सर्वर से सभी राज्यों के निर्वाचन आयोग को जोड़ने की कवायद की जा रही है. इस योजना में अभी तक राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के बाद अब मप्र का भी सर्वर जुड़ गया है. भोपाल में बुधवार को ईआरओ नेट सर्वर की शुरुआत हुई. अब इसी सर्वर पर प्रदेश के मतदाताओं का डेटा अपलोड होगा. केंद्रीय निवार्चन आयोग दिसंबर से पहले सभी राज्यों के निर्वाचन आयोग को सेंट्रलाइज पोर्टल से जोड़ने की कवायद कर रहा है. देश में एक ही स्थान पर होगा मतदाता का नाम कई मतदाता ऐसे हैं, जिनके एक से ज्यादा वोटर आईडी हैं. कोई व्यक्ति पहले किसी राज्य में रहता था और वहां पर उसका वोटर आईडी बना था. वह आईडी उसने निरस्त नहीं कराया और मप्र में आकर रहने लगा और उसने यहां एक और वोटर आईडी बनवा लिया. इस तरह जारी होगा नया आईडी यूनिक वोटर आईडी की व्यवस्था लागू होने के बाद निर्वाचन आयोग का सॉफ्टवेयर किसी भी व्यक्ति का वोटर आईडी बनाने से पहले देश के राज्यों के डेटा से व्यक्ति का नाम, पिता का नाम, उम्र और पते के आधार पर मिलान करेगा. यदि किसी राज्य में उसका वोटर आईडी बना होगा तो पहले उसे निरस्त किया जाएगा, उसके बाद ही नया वोटर आईडी जारी होगा. फर्जी मतदाताओं पर लगेगी रोक इस प्रक्रिया के लागू होने से मतदाता सूची भी त्रुटिपूर्ण तैयार होगी और जो व्यक्ति उस क्षेत्र में रह रहा होगा, उसका नाम सूची में रहेगा. कई बार मतदान के दौरान उस क्षेत्र में नहीं रहने वाले व्यक्ति के नाम पर लोग वोट डाल देते हैं. इससे फर्जी मतदाताओं पर रोक लगेगी. पुराने वोटर्स का मौजूदा नंबर ही माना जाएगा यूनिक जिन लोगों के वोटर आईडी बन चुके हैं, उनका मौजूदा वोटर आईडी नंबर ही यूनिक आईडी नंबर माना जाएगा. सेंट्रलाइज पोर्टल पर इसकी जानकारी पहुंचने के बाद ये नंबर भविष्य में किसी मतदाता को नहीं दिया जाएगा. इसके अलावा यदि इंदौर के व्यक्ति का ट्रांसफर किसी राज्य या शहर में होता है तो वहां पर उसका मतदाता सूची में नाम तो जोड़ा जाएगा, लेकिन वोटर आईडी नंबर मौजूदा ही रहेगा. ऐसे में मतदाता के अलग-अलग वोटर आईडी कार्ड नहीं बनेंगे.

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