गोरक्षा पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- हम हिंसा के खिलाफ

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने स्वयंभू गोरक्षकों की हिंसा की घटनाओं के संदर्भ में केंद्र एवं राज्यों से आज कहा कि वे किसी भी स्वयंभू गोरक्षकों को संरक्षण नहीं दें. न्यायालय ने गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा की घटनाओं पर उनसे जवाब मांगा है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति एम शांतानागौदर की 3 सदस्यीय खंडपीठ को केन्द्र ने सूचित किया कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है लेकिन वह देश में गोरक्षा के नाम पर किसी भी प्रकार की गतिविधियों का समर्थन नहीं करता. न्यायालय ने सोशल मीडिया पर अपलोड की गई गोरक्षा के नाम पर हिंसक सामग्री को हटाने के लिए केंद्र एवं राज्यों से सहयोग मांगा.

केंद्र को 4 सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भाजपा शासित गुजरात एवं झारखंड की आेर से पेश वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि स्वयंभू गोरक्षा संबंधी हिंसक गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की गई है. पीठ ने उनका बयान दर्ज किया और केंद्र एवं राज्यों को हिंसक घटनाओं के संबंध में अपनी रिपोर्ट 4 सप्ताह में दाखिल करने का निर्देश दिया. पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 6 सितंबर की तारीख तय की है. इस याचिका में कथित गोरक्षा समूहों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है जो कथित रूप से हिंसा कर रहे हैं और दलितों एवं अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कर रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन ए पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा कि इन गोरक्षा समूहों द्वारा की जाने वाली कथित हिंसा इस हद तक बढ़ गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन लोगों के बारे में कहा था कि वे समाज को नष्ट कर रहे हैं.

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