अगला साल आॅटो इंडस्ट्री के लिए काफी खास होने वाला है। वजह है आॅटो एक्सपो-2018, जो ग्रेटर नोएडा, दिल्ली में आयोजित होने वाला है। हर दो साल में होने वाला आॅटो जगत का यह 14वां महाकुंभ अगले साल आयोजित होगा जिसमें देश की सभी नामी-गिरामी आॅटो कंपनियां भाग लेती है। लेकिन इस बार एक बुरी खबर है। वह यह है कि इस बार के आॅटो एक्सपो में हो सकता है कुछ कंपनियां इस इंवेंट से दूरी बना लें। इन कंपनियों में देश की पाॅपुलर ब्रांड फाॅक्सवेगन का नाम पहले नंबर पर आ रहा है। पता चला है कि स्कोडा, आॅडी, निसान व फोर्ड भी इस लिस्ट में आ सकती है। जनरल मोटर्स पहले ही दौड से बाहर हो गई है।
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही जनरल मोटर्स ने साल के अंत में अपना कारोबार भारत से उठाने का फैसला कर लिया है। ऐसे में शेवरले ब्रांड के आॅटो एक्सपो में उपस्थित रहने का कोई मतलब नहीं रह जाता। अब सवाल यह है कि ऐसा क्या हो गया कि कंपनियां आॅटो एक्सपो-2018 से दूरी बना रही है। सीधी बात है कि कुछ कंपनियां अपनी लाख कोशिशों के बाद भी भारतीय कार बाजार में अपनी पैर नहीं फैला पा रही हैं।
फोर्ड, स्कोडा, निसान आदि कुछ ऐसी ही कंपनियां हैं। फाॅक्सवेगन की केवल एक कार पोलो जीटीआई ही देश में पाॅपुलर है। वेंटो, एमियो को कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई है। स्कोडा, निसान लंबे समय से देश में हैं लेकिन सफलता का रेशो एक प्रतिशत भी नहीं है।
वहीं आॅडी की पहुंच केवल एक वर्ग तक ही सीमित है। ऐसे में इन कंपनियों के लिए आॅटो एक्सपो एक खर्चीला सौदा साबित हो रहा है।
अब इतने सारे ब्रांड देश में सफल क्यों नहीं हो रहे हैं इनका एक खास कारण है। भारत एक ऐसा देश है जहां वेल्यू आॅन प्राइस का एक अहम रोल है। यहां कीमतें हर बात में एक अहम हिस्सा अदा करती है।
जो भी ब्रांड इस इंवेंट से गायब हो रहे हैं, सभी का दाम सामान्य से ज्यादा है। निसान व स्कोडा कुछ ऐसे ही ब्रांड हैं। फाॅक्सवेगन की कारें भी उसी सेगमेंट में मौजूद अन्य कारों से काफी ज्यादा है। ऐसे में भारतीय ग्राहक कम दाम वाली कार या बाइक की ओर जाते हैं।
इसके दूसरी ओर, कुछ ऐसी भी कंपनियां हैं जो पहली बार आॅटो एक्सपो-2018 में भाग ले सकती हैं।इस लिस्ट में पीएसए ग्रुप (प्यूजो), हुंडई के स्वामित्व वाली किया मोटर्स और एसएआईडीसी शामिल हैं।
एसएआईडीसी और जनरल मोटर्स के बीच हलोल प्लांट को खरीदने के लिए बातचीत चल रही है।
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