दिल बीमार तो हमीदिया में नहीं इलाज जेपी में किडनी मरीजों का है बुरा हाल

भोपाल । पिछले महीने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र सिंह कालूखेड़ा को हार्ट अटैक की आशंका के चलते हमीदिया अस्पताल लाया गया था, पर यहां डॉक्टरों ने कैथलैब की परेशानी बताई। ऐसे में उन्हें तत्काल दिल्ली ले जाना पड़ा। हालांकि बाद में वहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। ऐसी ही स्थिति का सामना हमीदिया आने वाले उन गरीब मरीजों को करना पड़ रहा है, जिन्हें कहीं और इलाज कराने की सलाह दी जाती है। यहां कैथलैब लंबे समय से बंद है। जेपी और सुल्तानिया अस्पताल में भी कई जरूरी उपकरण खराब पड़े हुए हैं। जेपी में डायलिसिस मशीनें खराब पड़ी हैं, वहीं सुल्तानिया में चार में से दो वेंटीलेटर खराब पड़े हैं।

दो साल से शुरू नहीं हो सकी कैथलैब, बाहर करानी पड़ रही है जांच

हमीदिया अस्पताल में दिल के मरीजों का इलाज लगभग ठप है। कैथलैब खराब है।

मरीज कम ही आते हैं। जो मरीज आते हैं उन्हें मजबूरी में प्राइवेट लैब जाना पड़ता है।

सुल्तानिया अस्पताल : चार में से दो वेंटीलेटर लंबे समय से खराब

सुल्तानिया अस्पताल में चार में से दो वेंटीलेटर खराब पड़े हैं। यहां सीजेरियन डिलेवरी भी होती हैं। ऐसे में मरीजों को वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है।

दो से ज्यादा मरीज होने पर यहां से मरीजों को हमीदिया अस्पताल रेफर करना पड़ता है।

Be the first to comment on "दिल बीमार तो हमीदिया में नहीं इलाज जेपी में किडनी मरीजों का है बुरा हाल"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*


error: Content is protected !!