नई दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की बात पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि है कि अगर एक्जिक्यूटिव फेल होती है या फिर सरकार फेल होती है तो जनता को बदलने का अधिकार है, पर संविधान में न्यायपालिका, कार्यपालिका और मीडिया के अधिकार और कर्तव्य की बात, सब कुछ कहा गया है। गडकरी ने कहा कि फेलियर तो हर क्षेत्र में हो सकता है, लेकिन फेल होने पर ये नहीं है कि एक क्षेत्र दूसरे क्षेत्र में हस्तक्षेप करें। ये करना कितना उचित है? इस मामले में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वे सीजेआई का आदर करते हैं। दरअसल केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने बीते समय टिप्पणी की थी, जिस पर मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने सोमवार को एक इंटरव्यू में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का किसी भी संस्था के अधिकार क्षेत्र में दखल देने का कोई इरादा नहीं है।
ठाकुर ने कहा कि न्यायपालिका में ऐसी कोई ख्वाहिश या कोशिश नहीं है कि हम हुकूमत का काम टेकओवर कर लें या हुकूमत की पॉलिसी को खुद तय करें। शंका का समाधान करने मिलकर करें बैठक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्य न्यायधीश के मन में अगर किसी विषय को लेकर शंका है तो वे विधायिका और कार्यपालिका के साथ मिलकर बैठक कर सकते हैं। कहा कि अगर शासन का कोई भी अंग अपनी सीमा का अतिक्रमण करता है, तो ये लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके मन में सुप्रीम कोर्ट के लिए बहुत सम्मान है। कार्यपालिका पर उंगली उठाना जायज नहीं केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संविधान के मुताबिक ही देश चलाने की जिम्मेदारी तय की गई है। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीनों के कार्यक्षेत्र को विधिवत् बांटा गया है। मुख्य न्यायधीश को अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन विधायिका या कार्यपालिका पर उंगली उठाना कहां तक जायज है।
Be the first to comment on "फेल होने पर जनता बदल देगी सरकार"